ऐ कलम तू आज किसको याद किया है तूने फिर से
उसी नाम को आज लब्ज पर दिया
ऐ कलम तूने फिर से उसे याद
जो तुझसे नाराज होकर भी पास है
तूने क्यों नहीं कहा उससे अब तक
तू मेरा है मई तेरा हु ऐ कलम
तू कह भी कैसे सकता था मेरे यार
तेरे कहने से पहले ही तुझे
उसका उत्तर मिल चूका था मेरे यार
ऐ अब तो जरा रुक के चल
न जाने किस शब्द में मेरे यार का नाम आ जाये
ऐ कलम तुझे तो पता ही है तेरा महबूब फिर भी
तूने कागज पर दिल को लिख डाला
ऐ कलम तूने ऐसा क्या सोचा
जो तुमने फिर से लिक्ख डाला
ऐ कलम तू आज किसको याद किया है फिर से
उस महबूब को देख लिया है
जो तेरा न होकर भी तेरा है
ऐ कलम ऐ मंजिल भी क्या होती है
एबीएन जाये तो मकान कहलाती है
बिगड़ जाये तो खँडहर कहलाती है
ऐ कलम तूने आज फिर से उस
चेहरे को याद किया जो तेरा न हो सका
ऐ कलम अब तो जरा रुक के चल
न जाने किस शब्द में मेरे यार का नाम आ जाये॥॥
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