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पिता एक छत.
कहां चल दिए लाट साब...
आज तो इतवार है, आज भी घर में नहीं रहना है तुमको..
तो घर में क्या करुं.... यहां बैठकर बस आपकी कड़वी बातें सुनता रहूं, नीचे मुंह करके रमेश बड़बड़ाया।
एक दिन, एक घंटा क्या, एक मिनट भी नहीं पटती थी दोनों बाप-बेटों में....मानो तलवारें खिंची ही रहती हों, एक दूसरे के लिए और इन दोनों के बीच मां हर समय एक ढाल बन कर खड़ी रहती किन्तु वह ढाल भी कभी-कभी छन्न से नीचे गिर ही जाती और वाक युद्ध चरम पर होता था।
ऐसा नहीं था कि रमेश एक बेकार और मुंह-जोर लड़का था, एक अच्छी नौकरी कर के भली-भांति जीवन-यापन कर रहा था... 
पिता भूतपूर्व सैनिक थे आर्मी रिटायर्ड
और उन्हें उनके सैन्य अनुशासन बहुत प्रिय थे।

रमेश अपनी स्वतंत्रता चाहता था और पिता जी अपना पिता वाला रोबदार सैन्य अनुशासन... 
रमेश जब भी परेशान होता तो पिताजी उसके बिना कहे उसकी सहायता करते, उसकी छोटी-मोटी जरूरतों को कभी मां-बहन द्वारा हल करते। उसे गलती करने पर डांटते और बडी हिदायत देकर काम कहते। जीवन बंदिशों में लगता था।

शादी हुई, बच्चा हुआ, थोड़ा बड़ा होने पर उनके जीवन पाठ को समझने लगा तो छोडकर चले गये। आज उसके पिता की तेरहवी हो गई। सभी मेहमान जा चुके हैं लेकिन रमेश अपने आप को बिल्कुल नहीं संभाल पा रहा था।
आज रमेश के पास स्वतंत्रता तो है पर पिता की आवाज नहीं है.
उस आवाज को वापस लाने का कोई रास्ता नहीं है....
पिता एक सूरज थे माना कि गरम था लेकिन अब अस्त हुआ है तो अंधेरा तो होगा ही"।
मेरे दोस्तो...... पिता के कठोर बोल और उनके अनुशासन के नियम लगते तो बड़े कड़वे हैं, मगर उन कठोर बोलों में उन अनुशासन के नियमों में एक प्यार छुपा हुआ होता है, एक फिक्र छुपी हुई होती है, जो कठिन अनुभव वो कर चुके होते हैं, वो चाहते हैं कि वो गलती, वो कठिनाई उनके बच्चे को ना हो।
उन्हें बाद में पछतावा ना करना पड़े, इसलिए वह एक सावधानी का संकेत करते हैं।
दोस्तो पिता वो छत होती है जो अपने साये में रह रहे परिवार को धूप से, बारिश से और सर्दियों में गीली ओस से बचाता है। स्वयं कभी ओलावृष्टि तो कभी तपा देने वाली धूप को सहता है ताकि उसका परिवार उस असहनीय पीड़ा से बच सके।
अपने भगवान स्वरूप माता-पिता की कभी अनदेखी ना करें। उन्हें सम्मान दें, उनकी बातों को, उनके अनुभव को एक बार सोच-समझ कर देखिए, बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। हम अपने जीवन में मां की अहमियत ज्यादा मानते है किंतु पिता बहुत जरूरी छत है, उनको भी बराबर अहमियत दें।
एक दोस्त की प्ररेणादायक ........

Rahul “Nitin”Gupta (BE Civil Engineering ,PMP,MBA Project Management ) is Project Director of this organization he have 8 years of experience in construction industry .He is experts in Site execution, planning , billing department ,Technical advisor .

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