काँटों पर चलकर हमें ज़िन्दगी जीना है
शायद हर लम्हे हर पल मुझे हमेशा याद् आते है
ज़िन्दगी का ये पूरा पिटारा
जिस दिन होगा ये पूरा
अपनी ज़िन्दगी में कभी चमकेगा ये सितारा
काँटों में पल कर ये खिलना भी सीखा है
शायद ज़िन्दगी के गम हमेशा तड़पाते है
लेकिन अपनी ज़िन्दगी को
यु ही जाने न देना
शायद सोच कर पलकों में
ऑंखें झपकती है
लेकिन मेरी मंजिल
यद् तेरी जब अति है
मेरी ख़ुशी भरी ज़िन्दगी भी नींद तक चली जाती है ॥॥
0 Comments:
Please do not message any spam