कभी का वो ग्यारह बारह बन गया
बीते मेरे जो दिन आज कल में
वो आज कल से दीवाना बन गया
चल चूका है मंजिल की और
न होना है उनसे पीछे
जो दिल चुभी बात कह चुके है
उनको तो करना होगा इतना पीछे
जितना वो हमें याद करते है
क्यों की हम तो यादों को ही
फरियाद समझने लगते है
उनको शायद दुःख तो होगा
लेकिन मेरा उससे गम नहीं
मै बस वही दीवाना हु
आ चूका हु मै बारह तक
पर अभी भी वो हमसे आगे है
पर हमको इससे कोई शिकवा नहीं
अब मेरा ग्यारह बारह बन गया
मै तो बस अपनी कविताओं का दीवाना बन गया ॥॥॥
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