हम ग़मों की आधियाँ है
हमें कोई क्या गम देगा
हम कही रहे हमेशा
हमें याद् करने वाले सोचेंगे
हम गुलाब है कमल नहीं
हमें लोग हमारी सूरत से नहीं
हमें तो लोग हमेशा
हमें हमारी महक से आएंगे
हम भी बुलाएंगे
फिर भी लोग आएंगे
हम अपनी महक से
इस दुनिया को मह्कायेंगे
हम कीचड़ में नहीं
हम तो दिलों में रहते है
हम और क्या क्या बताये
अभी तो क्या देखोगे खिल रही जवानी है
लोग यहाँ सोचेंगे
हम दुनिया को हमेश मह्कायेंगे ॥॥॥
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