देख तेरी महफ़िलों ने
मुझे तुमसे कितना दूर कर दिया
देख तेरी यादों ने,मुझे कविता लिखने से मजबूर कर दिया
तेरी दुनिया के लोगों ने,मुझे गुलाम बनाना क्यों चाहा
तुझे याद करके बिता सकता हु,लेकिन तेरी यादों की
तेरी दुनिया का गुलाम नहीं ,मै बन सकता हु
बस हमने भी सिख लिए है,गम इतने दुनिया के
की शायद लिख कर बता देता हु, हम तो हंस कर जी लेंगे
लेकिन तेरी दुनिया का क्या होगा
हम तन्हाई में कही बिता लेंगे
लेकिन तेरी दुनिया का मकसद
झूठा ही रह जायेगा , बस अब तू तो देख अगर
आज है तो नजर उठा, अपनी
ज़िन्दगी के जरा तू
अपने जकड़े पैरों को तो उठा,देख तेरे संसार की हालत क्या होगी
जरा कभी नजरे मिला कर देखो
मैंने पापों को है धूल दिया
बरह्मचर्य के इस तेल से
देख तेरी महफ़िल ने
मुझे तुमसे कितना दूर कर दिया ॥॥
0 Comments:
Please do not message any spam