टहलते -टहलते मन में मेरे
मेरे एक ख्याल आया
बस सपनों में ही मेरे
राहुल दीवाने का नाम आया
चलते फिरते इस नगर में
राहुल दीवाने की शाम आयी
अपनी है रात अपना है चंदा
फिर बात हो किसके गम की
वोह ख्वाब है या मंजिल
झरोखो में है गम मेरे लिए
जब याद हो मेरे दिलमे
बेचैनी इस तनहे से पूछो
जब यादें हो साथ मेरे
तो तन्हाई किस नाम की
फिर चलते ही चलते
याद मुझे जब आ गया
राहुल दीवाने का दीवानापन
ख्वाबों को उठा ले गया , सोच कर ये दुनिया
दीवानापन भी भुला दिया
हो रहा हु समर्पित ,
मै गम में मै अपने
टहलते टहलते मन में मेरे एक ख्वाब आया ॥॥
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