देखकर तेरी सूरत
दुनिया हम बसा लेंगे
शायद तेरी ओठो की लाली से
ज़िन्दगी का धब्बा बना हमने लिया
पहुंचकर तेरे पास हम ज़िंदगीं को कुए में फेक हमने दिए
देख कर तेरी सूरत
मंजिल पर कही पहुंच हम लेंगे
अपनी ज़िंदगी के मकसद, कभी
अधूरे न रहेंगे
हमेशा हम तेरे गालों पर मुस्कान देखा
खुदा ने चाहा मुझे तो, अपनी ज़िन्दगी के खवाइश को
भुला कहीं हम देंगे ,शायद तेरे प्यार को हम
ठुकरा करके हम यहाँ आये है
बस ज़िन्दगी के हर मकसद को
तूफा कही हम बना लिए है
जो गलतियां हुई है हमसे
भुला कही देंगे हम ,बस देखकर तेरी सूरत
अपनी दुनिया बसा हम लेंगे
भूलना तो चाहा तुझे,पर कविता ने भुलाने न दिया
हमेशा याद में तेरे हम,लिखना सुरु करते है ॥॥
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