ज़िन्दगी एक इबादत बन कर रह गयी
सोचते ही सोचते ढल गयी
पास सब कुछ होते हुए भी
ज़िन्दगी जलकर खाक हो गयी
सोचकर ये दुनिया के सराने
ज़िन्दगी
एक अरमान सी रह गयी
शायद गम भरी जवानी में
जवानी का मजा पढाई रह गयी
ज़िन्दगी एक परीक्षा है
लेकिन ये परीक्षा भी एक अरमान रह गयी
शायद ये ज़िन्दगी को
ज़िन्दगी से पता नहीं
हर बात का शिकवा ज़िन्दगी रह गयी
न इज़्ज़त न स्वार्थ न रहम
ये ज़िन्दगी ज़िन्दगी रह गयी
खाकर सारी ठोकरे ये
ज़िन्दगी अब गन्दगी रह गयी
बीत गयी बीत गयी ज़िन्दगी
अब ये बदलकर गन्दगी रह गयी
ज़िन्दगी एक इबादत बन कर रह गयी॥॥
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