तेरी यादों की धड़कनों में
बसाये हमने कही है ,तेरी हर बातों की
बिठाये हमने कही है,तेरी दुनिया के
हर सपनो को हमने,बिठाये दिल में कही है
हमेशा हमने तेरी चाह, अधूरी की अधूरी ही रखा
जो भी तूने चाहा ,वोह भी मेरी ज़िन्दगी का पाप था
शायद कर दिया अगर होता, आज ज़िंदगी के रोने होते
जो हंशी है जो ख़ुशी है, है मेरे होठो पर
वो हंशी वो रंगत है ,इन कविताओं की
शायद मेरे दिलपर ,अगर तेरा नाम होता
राहुल कवी न होता ,न किया मैंने उन पापों को
जो तूने मुझे सलाह दिया,शायद
अब चाय पीकर मुझे
सोचना यही पड़ता है ,हंशी मेरे गालों पर
रंगत मेरी आँखों में है ॥॥
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