ग़मों के आशियों में जले हम वो चराग हैं
जो जल जल के ख़तम हुए हैं
लेकिन कोई न हुआ हमारा यहाँ
हमें सिर्फ गम दिया लोगों ने
पर हम आशियों में जलते रहे
लेकिन समझने वाले समझ लिए
हम मीठे मीठे दर्द को कह न पाए
चाह तो बहुत थी हमारी यहा
लेकिन लोगों ने नजर अंदाज़ कर दिए
हम ग़मों में जलते रहे यहाँ
पर हमारा कोई न हुआ यहाँ
हम तो हर किसी के होना सिख लिए यहाँ
लेकिन हमारे ग़मों ने हमें
किसी का न होने दिया यहाँ
क्यों की ग़मों की आशियों में हम
जले जले हम ग़मों में ही जले ॥॥॥
0 Comments:
Please do not message any spam