भीड़ बहुत है
भीड़ तो बहुत है लेकिन ,
कोई अपना नहीं है
कोई सच है तो कोई झूठ है
यहाँ हर चेहरे के दो चेहरे है
सच यह है की यहाँ कोई अपना नहीं है
अपना भी होकर कोई अपना नहीं है
भीड़ में खड़े
तो सब है लेकिन
कोई किसी का अपना नहीं है
चल रहे है यहाँ सब यहाँ मंजिल के ख्वाब में
लेकिन किसी को मंजिल किसी को अरमान रह जाते है
रिश्तों की क़द्र का अंदाजा सब को है लेकिन
कोई निभाने का वादा नहीं है
चल तो रहे है सब लेकिन
पहुंच कोई ही पा रहा है
यहाँ हर सख्श परेशां है ,दूसरे की खुसी देखकर
यहाँ हर किसी के पास मंजिल है लेकिन
पहुंच कोई नहीं रहा है
भीड़ तो बहुत है लेकिन
कोई अपना नहीं है !!
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