यादों की महफ़िल में ज़िन्दगी
मेरी ज़िन्दगी एक चिता बन गयी
सोच सोच कर मेरी खोपड़ी
एक सील सिला बन गयी
शायद ज़िन्दगी के आशियानें को
हर मुलाकातों में समझा
पर हम हमेशा पीछे रह गए
कहाँ क्या उजड़ा हमारा
हम सोच पाए पर
हम देखते देखते नाजुक बन गए
यादों की हर महफ़िल ने
हमको हमेशा नासूर बनाया
फिर भी हम हमेशा कहते गए
सोच तो हम पाए
जो जैसा था हम समझे
यही है खुश - नसीबी हमारी
यादों की महफील में जली तो मेरी ज़िन्दगी
जल कर ज़िन्दगी मेरी राख हो गयी   ॥॥॥




Rahul “Nitin”Gupta (BE Civil Engineering ,PMP,MBA Project Management ) is Project Director of this organization he have 8 years of experience in construction industry .He is experts in Site execution, planning , billing department ,Technical advisor .

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