खराबी को सबने जाना
जाना जाना हमने जाना
सबने जाना देश को जाना
हमने जाना अपनों को जाना
लोगो को जाना कलयुग जाना
है पहचान कही छुपी
इस दुनिया के भक्ति में है दुःख वही पर
जहा पर सुख संसार का ,
खराबी को हमने जाना
जाना जाना हमने जाना
जानो मगर देश को जानो
साथ ही साथ अवसर पर अपने को
कलयुग के इस द्वार पर
.है कोई नहीं दरबार पर
है छुपी सच्चाई सब में
लोगों में हराम की
खराबी को सबने जाना
जाना जाना हमने जाना ॥॥
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