अब मेरी हर बातें तुमको कितनी कड़वी लगती है ।
एक दिन वोह भी था शायद तुमको याद होगा ,जब हर वक्त तुम्हे मै ही मैं हर दम दिखाई देता था ।
एक दिन वोह भी था जब तुम हमसे मिलने को कितना बेताब हुआ करती थी ।
अब मेरी हर बातें तुमको कितनी कड़वी लगती है ।मुझको ऐसा लगता है जो कोई भी है मेरे सिवा तुम्हारे जीवन में वोह अब सब कुछ है
शायद मुझको तुमसे दूर होना जरूरी हो गया है ।
अब मेरी हर बातें तुमको कितना कड़वी लगती है ।मुझको ऐसा लगता है की मुझसे बेहतर है कोई तुम्हारा जिसकी हर बात तुम्हे प्यारी लगती है ।
जैसे एक वक्त था तब मेरी हर बात प्यारी लगती थी ।
अब मेरी हर बातें तुमको कितनी कड़वी लगती है ।
याद तुम्हे अब मेरी आती है या वोह भी कड़वी लगती है जरा मुझे बतला देना जिससे मैं जाने में देरी न कर जाऊ ।
जरा भी कभी फिकर तुम ना करना तुम पर कोई आरोप नही आने दूंगा मैं ।
जरा भी फिकर ना करना मैं तुमको बेवफा न होने दूंगा ।बस इस ग़ज़ल से एक फरमान भेज रहा हु तुमको ।
मेरे पीठ पीछे कुछ ऐसा मत करना जिससे जीवन में मुझसे माफ़ी भी न मांग सको ।
लेकिन मैं वैसे भी तुम्हारे लिए तो गधा हु ।
फिर भी भगवान से अपने आपसे डर जाना थोड़ा ।
मुझे बतला देना मैं हरदम के लिए रास्ते से हट जाऊ।
बस इतनी मेहरबानी मुझ पर तुम करना ।
अब मेरी हर बातें तुमको कितनी कड़वी लगती है
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