क्या लिख दू ऐ ज़िन्दगी 
ऐ ज़िन्दगी या मजाक है 
क्या लिख दू मै इस कलम 
की स्याही से या अपने खून से 
ये ज़िन्दगी है या मजाक है 
न जाने किसका अरमान है 
न जाने कैसी ख्वाइश है 
मंजिल पास है लेकिन यहाँ 
पता नहीं कितना दूर चलना होगा 
ऐ कलम तू ही बता दे रास्ता 
उस मंजिल का जो तेरे लिए है 
क्या लिख दू ऐ ज़िन्दगी 
मौत लिख दू या कोई अरमान 
अगर नहीं दे सकती कोई अरमान तू 
ऐ ज़िन्दगी मत दे कोई हौसला 
सभालने से ज्यादा तू गिराती है 
सभलने पर भी तो तू डगमगा देती है 
ऐ ज़िन्दगी तेरे नाम कफ़न लिख रहा हु 
मौत का ये पैगाम देना उसको 
ऐ ज़िन्दगी एक फरियाद लिक्ख रहा हु 
दे सकती है तो दे दे मुझे 
एक मेरी मंजिल है जो तेरे पास है 
ऐ ज़िन्दगी तेरे नाम एक याद लिख रहा हु 
कब हो जाये आंखे बंद तेरे नाम अपने यार का 
ऐ ज़िन्दगी की लिख दू एक पेज में मै यहाँ 
बस मेरे यार का नाम लिख दू  
क्या लिख दू ऐ ज़िन्दगी

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