दो -दिल मिले
वो फिर खिले
जिसे लोग मोहब्बत कहा करते है
जाने फिर क्या हुआ
दोनों फिर जुड़ा हो चले
पहले तो सोचा दिलबर था मैंने
दिलबर है वो मेरी
था मेरा दिन भी ख़राब वो
हाथ में जो बांध गयी बंधन
दो दिल मिले वो फिर खिले
न जाने फिर क्या हुआ
मंदिर जाती वो मिली
मंदिर जब मै पंहुचा पुजारी बाबा वही मिला ॥॥
खड़ा हुआ सोच रहा था मै दो साथ फिर मिले
न जाने क्या हुआ मेरे आँखों में
वो बोली पंहुचा दो भैया पैखाने में
दो दिल मिले वो फिर खिले ॥॥
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