रुक्ख मोड़ लेती है ये ज़िंदगी 
मुख मोड़ लेती है ये ज़िन्दगी 
तभी हर कोई सिख लेता है ज़िंदगो
दर दर पर बदलती है ज़िन्दगी 
हर मोड़ पर बदलती है ज़िन्दगी 
बदल बदल कर मुड़ती है ज़िन्दगी 
मंजिले दिला देती है ज़िन्दगी 
ठोकरे दर दर लगाती है ज़िन्दगी 
ख्वाब बन कर रह जाती है ज़िंदगी 
सपने अधूरे के अधूरे बना देती है ज़िन्दगी 
हर मुश्किल को मुमकिन कर देती है ज़िन्दगी 
हर मुकाम को हासिल कर लेती है ज़िन्दगी 
किस किस से मिला देती है ज़िन्दगी 
कैसे कैसे बना देती है ज़िन्दगी 
किसको किसको रुला देती है ज़िन्दगी 
सपनों को भी हासिल कर लेती है ज़िन्दगी 
हर मोड़ पर मुड़ जाती है ज़िन्दगी 
कैसे कैसे बढ़ जाती है ज़िन्दगी॥॥
 
 

 
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