वोह रात बड़ी अजीब थी
मेरे मोहब्बत की गोद थी
वोह रात बड़ी अजीब थी ..
मेरे मोहब्बत की अंतिम रात थी
वोह रात बड़ी अजीब थी
मेरी मोहब्बत की रात थी
वोह मेरे दिल के पास थी
वोह मेरी ज़िन्दगी की साँसोँ सी थी
वोह कितनी खुशनसीब थी
मुझ जैसे को मिली लेकिन क़द्र कर न पाया
वोह रात बड़ी अजीब थी
मेरी मोहब्बत की गोद थी
वोह रात बड़ी अजीब थी
मेरी मोहब्बत ने बार मौका दिया
मुझे अपना बना लेने को
भागता रहा मैं दर बदर पर मोहब्बत को न समझ पाया
वोह रात बड़ी अजीब थी
मेरी मोहब्बत मुझे मना रही थी
वोह रात बड़ी अजीब थी
मेरी मोहब्बत मेरे पास थी
लेकिन अपना न पाया मैं अपनी मोहब्बत को
वोह रात बड़ी अजीब थी ...
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