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    जीवन    -  

मै अपनी किताब के माध्यम से किसी ब्यक्ति बिशेष को आहत करना नहीं चाहता हु ।और न ही यह मेरा उद्देश्य है मै बताना चाहुगा की जो समाज में चल रहा है मै केवल उसे ही सब के सामने रखना चहुंगा चाहे वो किसी पोलिटिकल पार्टी से हो ,चाहे वो किसी धर्म से या समुदाय से हो ।बस मै इतना ही अपनी किताब के माधयम से कहना चाहुगा की क्या चल रहा है और क्या इसका रिसल्ट होगा मै बस इतना ही बताने की कोशिश करना चाहुगा ।मै किसी को भी यह नहीं चाहता की उसको किसी प्रकार का कोई ठेश हो ।और किसी को होता भी है तो वो केवल गलत होगा ।तभी उसे मेरी लेखनी पर संदेह होगा या फिर उसे अज्ञानता होगी ! मुझसे भी गलती हो सकती है ।मेरी लेखनी में कुछ गलती हो सकती है लेकिन मै यह नहीं कह सकता हु की मै गलत हु क्यों की मै अपनी इस किताब में हर चीजों को प्रूफ कर कर दिखाऊंगा॥और इसे पड़ने वाले आसानी से समझ सकेंगे मै ऐसी अपेछा करता हु अपने प्रिय पड़ने वालों से ॥मै अपनी किताब में किसी भी धर्म या फिर किसी भी समुदाय को दर्द देना नहीं है मै जो भी देख रहा हु ।केवल उसे ही सही और करमबध्य तरीके से सुचारु रूप से बताने की कोशिश कर रहा हु ॥

हमारे भारत वर्ष में मै देखता हु की हमारे यहाँ जितने जिले है जितने विलेज है जितने भी घर है शायद उतनी भाषा है गुजरात आप जाओ तो गुजराती है पंजाब जाओ तो पंजाबी है उत्तरप्रदेश जाओ तो हिंदी बिहार जाओ तो हिंदी ओडिशा जाओ तो उड़िया कर्नाटक जाओ तो कनन्ड़ तमिल नाडु जाओ तो तमिल और भी बहुत ... ॥यहाँ पर आप को जाने पर आप को इनकी भाषा आनी चाहिए ।नहीं आती है तब भी आप घूम सकते है लेकिन हो सकता है की उनकी भाषा पर आप को कम पैसे में ही काम हो जाये या फिर ऐसा है की जो भी आप काम करना चाहते है वोह भी बहुत अच्छी तरह से हो जाये ॥क्युकी मै समझता हु की यदि आप कही भी जा रहे है अपने घर से आप २००० या २५०० किलोमीटर दूर है तो आप को अपना कोई नहीं है इस लिए आप को उनसे मिलना तो पड़ेगा पर आप को उनकी भाषा नहीं आती और आप को उनकी बहसः नहीं आती है मेरा मतलब की मिस अंडरस्टैंडिंग होगी आप दोनों में तो जो भी आप करना चाहते है उसे आप कैसे करेंगे ॥इसके लिए आप को ही उनके लिए बदलना होगा ॥आप को उनकी भाषा में ढालना होगा । मै इसलिए ये बात करना चाहता हु की हिंदी हमारी चल तो रही है लेकिन अब बिलुप्त हो रही है ।कुछ इंग्लिश ने कब्ज़ा कर लिए है और कुछ ये पर्सोनेल लैंग्वेज ॥हर ब्यक्ति को हिंदी भी जरूर आनी चाहिए ऐसा हमें एक कमी नजर आती है ।क्यों की मै बहुत जगह जाता रहता हु तो वहा पर लोगों को हिंदी नहीं आती है और कुछ तो ऐसी जगह है जहा पर हिंदी नहीं आती है लेकिन इंग्लिश आनी चाहिए ।पर जिसे मजदुर आदमी है उसे तो इंग्लिश भी नहीं आती है और उसकी लोकल लैंग्वेज भी तब वोह क्या करे ॥इसलिए हिंदी तो जरूर अणि चाहिए हर किसी को चाहे वोह हिंदुस्तान के किसी भी जगह से क्यों न हो ॥हमारा भारत वर्ष को हिंदुस्तान कहते है पर वो तो असली अलग अलग जगहों में बता हुआ है यहाँ पर आपको ये लैंग्वेज आनी होगी वहा पर वहा की आनी होगी बल्कि आनी ही चाहिए ऐसा है ॥ऐसा नहीं होना चाहिए मुझे ऐसा लगता है ।दूसरा एक चीज है मै देखता हु की हमारे यहाँ के लोग अब तो जागरूक है और बहुत ही अच्छे अच्छे रास्ते पर भी चल रहे है पर एक और कमी नजर आती है की लोगों में अब तो काम करने का जो तरीका है वोह है केवल देखावा का वोह केवल अपने आगे वाले को यह दिखा देते है की है मै तो बहुत अच्छा काम कर रहा हु ऐसे लोगों की संख्या अभी ज्यादा है आप प्राइवेट कंपनी में देख सकते है अच्छी तरह से वोह अपने काम को दिखाने के लिए आप को इंटरनेट से जोड़ लेंगे की हा आगे वाले को पता चले नहीं उसका काम चल रहा है ।जब की वोह केवल सामने वाले को बेवकूफ बना रहा है ।काम करने वाले १० है तो दिखावा करने वाले ५० है ऐसा है अभी मै प्राइवेट कंपनी में काम करने वाला आदमी हु इसलिए मै ऐसा देखता रहता हु ।मेहनत तो पूरी हम करते है लेकिन जब कंपनी में इयरली आप का इंक्रीमेंट होता है तो पता चलता है की जिसने कुछ नहीं किये बल्कि बॉस के सामने दिखावा किया वोह तो सबसे आगे है ।ऐसा ही चल रहा है हर जगह मै ऐसा समझता हु कुछ तो कुछ बहुत कुछ अपनी आँखों से देखा भी है ॥पर कौन किसे यहाँ बोलता है ।जिसकी मर्जी वोह करे क्यों की आप सही है तो वो केवल आप ही जान पाओगे ।यहाँ कोई किसी को कुछ बोलने वाला नहीं है हम सभी ये जानते है !वैसे एक बात और भी मै बताना चाहता हूँ की लोग अक्सर ये कहते फिरते है की जमाना ख़राब हो रहा है और जब से मेरी बहु घर आयी है तब से मेरा बेटा तो मेरी सुनता ही नहीं है ! मै ऐसा मानता हूँ !क्युकी शायद मैंने जहा तक देखा है और सुना भी बहुत कुछ है समाज में हर चीज देखने को भी मिलती रहती है इस लिए मैंने बहुत राज्यों के चक्कर भी लगाए है और उस आधार पर मै बोलना बताना चाहता हूँ की अगर हमारे बड़े हमसे सही हो तो हम उन्ही के बनाये गए सिद्धांतों पर चलते है !और हम भी उन्ही के दिखाए हुए रास्तों पर चलते हैं अगर समाज सही करना है तो पहले अपना घर सही करो फिर बाद में समाज और जब बड़े ही सही रहेंगे तो मैं इस बात को नहीं मानता की बच्चे सही नहीं होंगे !मैंने यहाँ एक कहानी के तौर पर कुछ समझाना चाहूंगा और अपेछा करता हूँ की सभी को समझ आएगी !

    मैंने एक आँखों देखि बात बताना चाहुगा कुछ बताई हुई है और कुछ इस कहानी में सुनी हुई है मै उत्तरप्रदेश के एक जगह की बात है एक लड़की है जो की खेतों में काम करती है और उसके माँ बाप उससे काम करवाते है लेकिन उसे अपनी पढाई के लिए अलग से काम करना पड़ता है जैसे की किसी की दुकान में काम कर लेना स्कूल कॉलेज में टीचिंग कर लेना और कॉलेज से उसे छात्रबृत्ति मिल जाना इसे से वोह अपनी आगे की पढाई कर पाती है लेकिन इसके बाद भी माँ बाप उससे बिलकुल खुश नहीं और तो और उसे ही इधर उधर की बातें सुनाते है !और चलो अगर वोह कुछ कर ले तो उसके फायदे लेने वाले सब हो जाते है जैसे कहा जाता है की "सफलता के समय सब अपने पास होते है लेकिन असफलता के समय पर कोई भी पास नहीं होता है"!और मै बताना चाहता हु की चाहे किसी की लड़की हो या लड़का हो अगर वोह अपनी मेहनत से आगे बढ़ रहा है चाहे वोह दिन रात अच्छी तरह से एक कर दिया हो उसके माँ बाप ने केवल उसे पैदा कर दिया हो बाकि कुछ नहीं पर जब भी वोह अपनी सफलता पर पहुंच पायेगा चाहे उसके टाँग हमेशा क्यों खींचा हो लेकिन अगर वोह सफल हुआ तो गलियों में चिल्लाते फिरते है है की देखो मैंने बेटे या बेटी को इस लायक बनाया है उसमे वोह एक बार नहीं बोलेगे की हमारे बेटे ने या हमारी बेटी ने बहुत ज्यादा मेहनत की है संधर्ष किया है तब आज वोह यहाँ पर है ऐसा नहीं बल्कि वोह अपनी इज्जत को दिखाएंगे मैंने तो ऐसा बहुत देखा है बहुत कम माँ बाप मिलते है जो बच्चे की सफलता पर बच्चे को ध्येय देते हो। यहाँ एक और बात बताना चाहुगा की कुछ ऐसे भी माँ बाप होते है की अगर बच्चा असफल हुआ है तो दुनिया का काम है आप के बच्चे पर हसना पर आप तो मत हंसो लेकिन मैंने ऐसे भी माँ बाप देखे है जो लोगों से कहते फिरते है की क्या करे मैंने तो सब कुछ पूरा किया इन्होने जो भी माँगा मैंने दिया पर पर ये वह जाकर क्या किये मुझे तो पता नहीं ।मेरे पैसों को केवल बर्बाद कर दिए मेरा घर बर्बाद कर दिए ।ऐसे भी कहने वाले माँ बाप मैंने देखे है !जरुरी नहीं है की हर समय आपका बच्चा गलत हो आप उसे पहचाने अगर गलत है तो सही आप है नहीं तो आप तो सबसे ज्यादा गलत है और आपका बच्चा क्या करता है आप तो देख रहे है न फिर आप ऐसा कहने का हक़दार कैसे है ये हो सकता है की आपका बच्चा किसी रंजिश में फंस चूका हो और आप देख नहीं पा रहे है आपका बच्चा हमेशा नहीं गलत हो सकता जब उसने ७५ % रिजल्ट लाये तो आप बहुत खुश थे मेरा असली बेटा या  बेटी है लेकिन जब फेल हुआ तो आपका असली नहीं है ऐसा क्यों  ।और भी कुछ कहना चाहता हु जब आप अपने बच्चे के लिए कोई सपने देखे तो उसकी भी क्षमता देख ले उसके बाद उसे निर्धारित करे क्यों की ऐसा भी हो सकता है की आपका बेटा या बेटी आप उसे कुछ बनाना चाहते है लेकिन वोह कुछ और बनना चाहता है ।वोह भी देख कर तय करे क्युकी उस समय पर भी आप असफलता के जिम्मेदार होंगे जो की आप स्वीकार नहीं करेंगे ।इसके बाद आप भी अपनी क्षमता देखकर बच्चे को सपने दिखाए क्यों की बच्चे पैदा करना बड़ा आसान है लेकिन उनको अच्छा इंसान बनाना बड़ा कठिन काम है उनके सपनों को साकार करना भी कठिन है ।वैसे इंसान दिल से चाहे तो क्या नहीं कर सकता पर उसमे भी ऊपर वाले का भी साथ होना जरुरी है पर हो ही जाता है इंसान सोच अच्छी रखे तो अपनी नियत सही रखे तो दुनिया में कुछ भी कठिन नहीं है अब मै बताना चाहता हूँ की ।

जब आप सही है तो आपका बच्चा भी सही होगा मैंने ऐसा भी देखा है कुछ माँ बाप तो अपनी गलती भी अपने बच्चों पर ही डालते है कभी अपनी गलती भी नहीं स्वीकार करते है जब की सारी गलती उनकी ही है मैं जहा तक जनता हु की लोग यहाँ अपनी गलती हमेशा दूसरों पर ही डालते रहते है फिर चाहे वोह कोई भी हो ! हर ब्यक्ति चाहता है की हम बेहतर ज़िन्दगी जिए पर हमेशा वोह इसे बेहतर करने के चक्कर में बेकार करता ही जाता है हमेशा दुनिया भर के सोच बिचार वो किया करता है !और बेकार की बातों में फसता जाता है !जब कोई अपनी ज़िन्दगी अपना अपना देखने लगता है तो वोह बहार की चीज भूल जाता है यहाँ तक की वोह अपने भाई बहन अास-पास के लोगों को भी भूल जाता है बस उसे एक ही चीज दिखाई देती है अपना लक्ष्य !वैसे ये सही है लेकिन जहा तक मुझे लगता है की अपनी सफलता के साथ हमेशा अपने साथ अपनों को भी लेकर चलना बेहतर होता है लेकिन कुछ लोग तो आप के साथ चलना नहीं चाहेंगे क्यों की अगर आप असफल हुए हो तो क्यों की दुनिया आपकी एक गलती देखती है आप लाखों अच्छे कर्म क्यों न किये हो बस एक गलती हुई हो तो बस आप के अपने ही आपका साथ छोड़ देंगे !तब आपके पास दो रास्ते है आप उन्ह छोड़ो नहीं तो वो आप को छोड़ देंगे ! इंसान कितना भी कुछ क्यों न कर ले लेकिन उसका पेट कभी नहीं भरता है क्यों की यहाँ पर बहुत कुछ है हर इंसान चाहता है मेरे पास भी यह सब कुछ हो इस सब कुछ के चक्कर में वोह हमेशा सब को पीछे छोड़ता चला जाता है बाद में जब वो सोचता है तब समझ अता है की मैंने क्या क्या छोड़ा है क्या क्या पाया है ये मैंने क्या किया है ! मै समाज के बारे में और भी या कहना सही है या नहीं मै ये नहीं जानता हु लेकिन मै ऐसा समझता हु की मुझे यह सब ब्यक्त करना बेहद जरुरी है क्यों की जहा तक मै समझता हु की कभी भी समाज की मुश्किल को इतना आसानी से दूर नहीं कर सकते बल्कि इसे करने के लिए एक अच्छी शिक्षा की जरुरत है और एक अच्छे सलाहकार की जब की हमारे समाज में अगर कोई सलाह करने लगता है तो क्या है वोह यह तो बाबा बन जाता है या फिर मौलवी या कुछ और !इसलिए वोह इसका दुरुप्रयोग करने लगता है कभी- कभी कोई और भी तरह से लोग बोलते है मै समझता हु की वोह सब बकवाश है क्यों की आज की दुनिया केवल लालच की है हमारे समाज में अच्छी शिक्षा की जगह डिग्री बांटी जा रही है और यह डिग्री ही समाज को गड्ढे में धकेल रही है !लोग अपने बच्चे को कुछ बनाने के बदले वो उसे बहुत ज्यादा बना दे रहे है !जैसे मै आप को बताना चाहता हु की जिस प्रकार से आज की दौर में हमारे बड़े हमको इंजीनियरिंग ,MBA ,इत्यादि पढाई करवा रहे है वही पर आप ये देखिये की आप के बच्चे आज २५,२८,३० की उम्र तक कोई नौकरी ढूढ़ता है तो कोई सरकारी नौकरी के चक्कर लगाता है कोई -कोई तो तो तैयारी ही करते रहते है अब आप बताओ जब आप का बच्चा ३० वर्ष तक तैयारी करेगा तो आगे अब उसकी उम्र क्या है और वोह क्या करेगा आज के दौर में क्या है की अगर किसी के बच्चे को हम देख लेते है की वोह ६० वर्ष की आयु में डॉक्टर बना तो हम तुरंत ही अपने पर भी प्रैक्टिकल करने लग जाते है लेकिन यह नहीं सोच पते है की वह उसकी कबूलियत है लेकिन हमें उससे पहले कुछ करना है बल्कि उसके पीछे भागने लग जाते है और तो और लोग उसे ही अपने घर पर लागु करने लग जाते है जब की यह बेहद गलत है बल्कि आप अपने बच्चे को कुछ उसकी काबूलियत और अपनी क्षमता देख कर तय करो ! जिस प्रकार से हमारे बड़े भी कह गए है की "जितनी चादर उतनी ही टाँग फैलाओ "ऐसा मै भी मानता हूँ! क्यों की आज का टाइम देख कर ऐसा अनुभव होता है जो हमारे बाप दादा कहते है वही सही है क्यों की हमेशा बड़ों  का अनुभव जो कहता है वही सही है मै इससे भी 50% केवल सहमत हूँ !क्यों की हर इन्शान का सोचने और समझने का तरीका अलग -अलग होता है और वह हमेशा अपने लिए अपने परिवार के लिए सोचता है !फिर भी मैं इतना बताना चाहता हूँ की इन्शान को जिम्मेदारियां आगे बढाती है बस अंतर है तो उसे अपने दिमाग को सही दिशा देने की !अपने बच्चे को हम शिक्षा तो ३० वर्ष तक की आयु तक देते है लेकिन क्या उसे बाहर की दुनिया पता चल पाती है नहीं मै नहीं मानता !ऐसा ही है जब वोह ३० के बाद आगे कुछ कदम बढ़ाता है तो उसे कोई देखे नहीं देता और वोह असफल होता है फिर आप देखो आपने अपने बच्चे को शिक्षा दिया लेकिन उसे दुनिया का प्रैक्टिकल भी आना चाहिए जिस प्रकार से पढाई करते समय हमें प्रैक्टिकल करवाया जाता है साइंस का ठीक उसी प्रकार हमें भी ज़िन्दगी का प्रैक्टिकल भी करना पड़ता है नहीं तो यहाँ भी फेल और क्लास में भी फेल होना पड़ेगा !जब हम क्लास म फेल होते है तो हमारे अपने या फिर क्लास वाले हम पर हस्ते है और जब याद् रहे ज़िन्दगी से फेल हुए तब तो आप कही के नहीं रहे !ज़िन्दगी में दुःख ,दर्द,गरीबी ,हर चीजों को बच्चे को समझाना माँ बाप का कर्तब्य है न की केवल उसे हाई- फाई डिग्री दिलवा देने से सब कुछ हो जायेगा !आप अपने बच्चे का भविष्य तय कर रहे हैं लेकिन याद रहे की बच्चे को बनाया नहीं जा सकता हैं जिसको जैसा संस्कार दिया जाता हैं जैसा माहौल दिया जाता हैं !जैसी संगत वैसी ही रंगत होगी न !फिर भी मै देखता हूँ की इतनी डिग्री के बावजूद भी हमारे भाई लोग भटकते हैं गली गली में चक्कर लगाने पड़ते हैं !नौकरी के चक्कर में और चलो कोई मिल भी गयी तो हॉल क्या होता हैं शाम के समय उन्ही के पूरी शरीर से पूछ लो क्या होता हैं क्या कर्त हैं कंपनी वाले हमारे बड़े बुजुर्ग कहते थे की किसी की गुलामी नहीं करेंगे और आज हम हैं की उन्ही के पीछे भागते फिरते हैं हमारे बड़े हमसे अक्सर कहते हैं की मैंने तो बहुत लोगों से सुना हैं की उनको उस समय में  घर से पकड़ कर नौकरी दी जाती थी जब वो दसवीं भी पढ़ लेते थे तो सरकारी नौकरी पक्की हो जाती थी लेकिन हमारे टाइम में तो कितना भी पढ़ लो कितना भी कुछ भी कर लो कितना कम्पटीशन हैं ज़माने में लेकिन हर किसी का अपना टैलेंट होता हैं टैलेंट बनाया नहीं जा सकता हैं बल्कि टैलेंट को निकालना पड़ता हैं अंदर से बाहर लेकिन यहाँ लोग बनाने लग जाते हैं जबकि ऐसा भी नहीं हैं ! बनाया गया टैलंट चलता नहीं है बल्कि बिखर जाता है वोह चंद लम्हों के लिए आ सकता है लेकिन हमेशा के लिए नहीं यही बात हर किसी को समझ में नहीं आती है जब इन्शान को अपना भविष्य तय खुद करना होता है तो वोह मैं समझता हु की आसान होता है लेकिन जब उसे किसी और का तो बड़ा ही ठोस कदम उठाना पड़ता है और तब जाकर एक सही रास्ता बन पाता है हमारे समाज को आगे लेकर चलने में सबसे ज्यादा हमारे बड़ो का साथ है क्यों की सही और गलत का रास्ता वही हमारे लिए तय करते है फिर भी हम कभी कभी भूल जाते है की वही हमारे बारे में सोचने वाले है जो भी रास्ते से वो गुजर चुके है अगर वोह गलत था या उनके साथ गलत हुआ है तो वो हमें उधर जाने से रोकते है फिर भी हम कभी कभी बाहरी दबाव में आकर बह जाते है किसी गलत रिश्ते या रास्ते की तरफ और जब हम अंत में धोका पाते है या असफलता पते है तब पता लगता है की हम गलत है या हम गलत थे लेकिन इतना अगर हर इंसान समझ जाये तो फिर कुछ दिककत ही न हो मै समझता हु ऐसा क्यों की मेरे साथ भी ऐसा एक गलत नतीजा हुआ है मैंने उसे भी फेस किया है मै हर नतीजों से गुजरा हुआ इंसान हु इसलिए इतना अच्छा है मेरे लिए ये ज़िन्दगी ! एक बार मेरे को बहुत बहार के लिए ईमेल आते रहते थे! हुआ क्या था की मै कुछ अंधबिस्वास के चक्कर में पड़ गया था वोह भी क्यों! क्यों की जब इंसान को जिम्मेदारियां आती है तो वोह उठा पाना भी बड़ा कठिन होता है इसलिए मेरे साथ ऐसा हुआ की मुझे ईमेल आया की मुझे एक कंपनी में USA के लिए बुलावा आया है !मै मेल देखा कंपनी के वेबसाइट चेक कर लिए तब जाकर मैंने सोचा चलो अब मै आगे का रास्ता देखता हु लेकिन शायद वो मेरी ज़िन्दगी के बदनशीब दिन थे और मै कुछ न कर सका हुआ क्या की मै फॉर्म अप्लाई किया जैसा -जैसा उनका प्रोसेस था मैंने पूरा किया प्रोसेस में दो महीने लग गए और लास्ट में पता चला की अब इंटरव्यू होगा मै वोह भी फेस किया रात रात में जागकर क्यों की मुझे भी लगता था की टेलीफोनिक इंटरव्यू है अब हमारे यहाँ रात है तो वह दिन होगा ही इसलिए ये रात में फ़ोन आते है मैंने सब कुछ किया अपनी माँ  से मैंने बात की उन्होंने कहा अच्छा है चले जाओ मै आगे की तैयारी करने लगा और क्या हुआ उन लोगों ने मुझसे पैसे का डिमांड किया वोह भी वीसा के लिए क्युकी वहा की गवर्नमेंट अपनी तरफ से वीसा नहीं देती है तो मैंने एम्बेसी मुंबई फ़ोन पर बात किया उन्होंने  पूरा वही प्रोसेस बताया मुझे विस्वास हो गया वोह भी मुझे मुंबई एम्बेसी से ईमेल भी अाता था सब कुछ मुंबई एम्बेसी के मेल से ह हुआ लास्ट में मेरे एक लाख चले गए वो लोग और भी लगे थे लेने में पर शायद मेरे साथ मेरी नशीब ने कुछ साथ दिया मेरा केवल एक लाख ही ले जा पाए लेकिन मै वोह एक लाख रुपया अपनी ज़िन्दगी में कभी उस समय नहीं देखा था और मै उसे कैसे इकट्ठा किया था मै ही जान सकता हु और तो और मै क्या क्या नहीं किया उसे इकट्ठा करने के लिए फिर बाद में जब बदनसीबी हाथ आयी तो याद् आया की माँ ने बोलै था सही से सब चेक कर लेना पर मैंने अपनी पूरी कोशिश के साथ चेक किया था पर शायद मै गलत था पर क्या कर सकता था और तो और मुझे मेरी माँ ने बोला था सब जाकर एक बार देखकर आ जाओ पर मैंने बात किया उससे तो क्या बोला यहाँ अपॉइंटमेंट लेना होगा मै दे दूंगा तब आ जाना पहले फीस तो जमा करो तब भी मैंने मुंबई एम्बेसी में बात किया तब भी उन्होंने यही उसी का प्रोसेस बताया मै तब जाकर पैतीस हजार और पचास हजार फिर पंद्रह हजार दिए अभी आज भी मरे पास सारा कुछ है पूरा पेपर है लेकिन ये क्या कर सकता था क्यों की मै अपने परिवार में परेशान हु उसी लिए तो मै यह कर रहा था लेकिन हुआ उल्टा क्या करते कर क्या सकते थे क्यों की यहाँ का इंडिया का तो कानून ही ऐसा है बताओ वोह आदमी उनका ईमेल हैक कर ले वोह भी मुंबई एम्ब्सी का कोई मजाक नहीं है लेकिन हमारा इंडिया का कानून ऐसा है इसलिए मैंने भी सोचा क्यों फालतू में और दौड़ करना छोड़ दिया हमने जब हमने मुंबई एम्बसी की फ्रॉड वाली ईमेल पर मेल किया तो उन्होंने एक ही जवाब दिया “This is a SCAM, please DO NOT respond to it”. बस इतना ही वोह भी सब कुछ हो जाने के बाद मैंने उन्हें सब कुछ शेयर किया फिर भी कुछ हाशिल नहीं हुआ तो ये हुआ की इशारे तो मिल गए माँ ने दे दिया पर हम नहीं समझ पाए क्यों की पहले हम पता करते तो पता चलता की वह जाने के लिए बैंक अकाउंट बैलेंस कितना होना चाहिए जो ब्यक्ति पचास हजार एक लाख नहीं दे सकता वोह बैंक बैलेंस कितना रख सकता है फिर दूसरा चीज वोह हमसे विडिओ कालिंग भी कर सकता था लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ क्यों की वोह पकड़ा जाता वोह बात करता था फॉरेनर बन कर जो की उसकी शक्ल से पता लग जाती लेकिन उसका टैलेंट इतना था की कोई बात करके नहीं पकड़ सकता था की वोह फॉरेनर नहीं था !पर मुझे बोलना था विडिओ कॉल करो मैंने नहीं बोला  और भी था जो मै बोल सकता था काफी कुछ था मै एम्बेसी से और कही से पता कर सकता था पर मेरे अंदर अज्ञानता का भाव था दूसरा मै अपना परिवार खुस देख रहा था सिर्फ यही एक कहानी थी की मै कुछ और नहीं कर पाया पर ठीक है ज़िन्दगी हर किसी को सिखाती है सीखना ही ज़िन्दगी है अब तो आगे देखना ही अच्छा है पर मै आज भी हिम्मंत नहीं हारा हू दूसरा आज भी मै कही भी जाने को तैयार रहता हू क्यों की मुझे घूमना भी बेहद पसंद है मै अपने परिवार अपनी माँ के लिए कुछ भी कर सकता हू पर समाज भी मेरे लिए उतना ही महत्व पूर्ण है जितना परिवार ऐसी ही गलतियां हम करते रहते है लेकिन कभी अपनी गलती पर पर्दा नहीं डालना चाहिए मै समझता हू की गलतियों को परदे में रखने से बेकार हो जाती है और वोह बड़ी गलती बनती  है जो की हमारी सफलता में रूकावट का कारण बनती है !

इंसान कितना भी आगे क्यों न चला जाये लेकिन कुछ ऐसी चीज है जिससे वोह कभी भाग नहीं सकता और वोह भागना भी चाहे तो भी वोह भाग कर किधर जाये ऐसा ही कुछ कहानी बताने की और भी मै कोशिश करुगा शायद आप को अच्छी लगे -

आज हमारे देश में राजनीति एक ऐसी कड़ी बनी हुई है जिसमे सत्ता के लिए कोई कुछ भी कर सकता है और तो और लोग सत्ता के लिए हमें कितना उपयोग करते है मै यह बताना चाहता हु !लोग सत्ता में आने से पहले हमारे नेता लोग कितने वायदे करते है यह हमें तो अच्छी तरह से मालूम है कुछ नेता तो एक परसेंट भी नहीं पूरा कर पाते है और कुछ नेता अपना परिवारबाद चलाते है जो की हमारे यहाँ की सबसे बड़ी राजनीती है वोह अपने परिवार का पेट भरते है और खुद खाते है लेकिन जनता तक क्या पहुँचता है ये सब आप सभी को अच्छे से मालूम है इतना ज्यादा बताने की जरूरत नहीं हैहम सत्ता पर बिस्वास करके हम उन्हें ही अपना नेता चुनते है फिर वही हमारी खून के प्यासे हो जाते है ऐसा ही है हमारे यहाँ की राजनीती और कुछ हद तक हमारे यहाँ हम सब को इसके लिए जागरूक होना जरुरी है क्यों की सबसे ज्यादा गलती उनकी ही नहीं होती है बल्कि हमारे समाज में भी ऐसे ही असमाजिक तत्व है की वो जाकर उन्ही से सबसे ज्यादा नजदीक होते है तो जहा तक मैं मानता हूँ की सबसे ज्यादा ऐसे असमाजिक तत्व को पहले हटा देना चाहिए तो ज्यादा उड़ने वाले हो क्यों की हम एक ऐसे समाज है जो की खुद के लिए कुछ नहीं कर सकता और हमारे समाज समाज में जब ऐसे असमाजिक तत्व होते है तो वो केवल हर चीजों को गलत ही दिखाने की कोशिश करते रहते है और हमें गुमराह करते है तब कही जाकर हमारी पोलिटिकल पार्टी हमें उपयोग कर पाती  है । यह असामाजिक तत्व ही सबसे ज्यादा खतरनाक होते है और यही हमें सबसे ज्यादा नुकशान पहुंचाते रहते हैं ! जब तक ऐसे हमारे समाज से असामाजिक तत्व दूर नहीं होंगे तब तक हम परेशां रहेंगे इन चीजों से ,हमारे यहाँ नेता बनना बड़ा ही आसान काम हो चूका है जैसे आप थोड़ी बहुत पब्लिक  सिटी मिल गयी हो चाहे वोह आपकी कितनी भी बुराई क्यों न हो अपने कितने बड़े से बड़े मर्डर में  क्यों न हो लेकिन अगर आप पब्लिक सिटी आपको मिली है तो आप एक अच्छे नेता के रूप में आ सकते है आप हमारे यहाँ का कानून एकदम अच्छा है लेकिन उसमे यही एक कमी है "हर गलती की माफ़ी " यह नहीं होना चाहिए क्यों की जो भी गलती करता है पहले वोह उस गलती की धारा ,सब कुछ सीख लेता है फिर सोचता है फसूंगा तो निकलना कैसे है तो उसमे यह सब कुछ दिया है इसलिए यह नहीं होना चाहिए बल्कि ऐसा होना चाहिए की मुझे जो लगता है "गलती छोटी लेकिन सजा बड़ी हो " तब इंसान के अंदर डर रहेगा न की वोह इधर उधर की हरकत करेगा वोह गलती करने से पहले ही सोचेगा उसे सोचना पड़ेगा हजार बार सजा ऐसी होनी चाहिए ! समाज की हर कड़ी कही न कही से किसी न किसी से हर किसी से जुडी हुई है यह हमारा समाज है हमें खुद ही गलत को गलत और सही को सही देखना होगा किसी की तरफ- दारी करने से कुछ नहीं होगा बल्कि हमें एक अच्छे समाज को लेकर चलना होगा हमें उसे देखना होना !हमारे नेता लोग एक दूसरे पर इल्जाम लगते है हम सोचते है की यह नेता एकदम सही है वोह उसके बारे में गलत गलत बोलता है वोह उसके बारे में लेकिन ऐसा केवल वोटिंग टाइम में ही क्यों होता है कभी ऐसा सोचा नहीं सोचा क्यों की यह हमें भटकाने के लिए किया जाता है और कुछ नहीं फिर वही होता है की जो पुरानी कहानी चली आ रही है !

हमारे यहाँ आज हर घर में पॉलीटिशन मवजुद है नहीं है तो अपने गली मोहल्ले में ही करते है वोह भी नहीं है तो अपने आस - पास या अपने ही घर में कर लेते है लेकिन उन्हें कुछ न कुछ करना है क्यों की फालतू इंसान क्या करे उसके पास कोई काम है नहीं तोह वोह इधर उधर ही करता है और कहता है की मै ये कर रहा हु वो मै ही करवा रहा हु मेरी उनसे बनती है मै ये काम करवा सकता हु मतलब कुछ नहीं केवल फालतू काम जितने होंगे वो सभी उनके ही जिम्मेदारी पर होंगे ! हमारे समाज में बहुत तरह तरह के लोग रहते है लेकिन हम सोचते है की उन्हें भी साथ में लेकर चले लेकिन वोह हमारे साथ चलने को तैयार ही नहीं होते है बल्कि वो भागते है वो अपने में ही ब्यस्त रहते है तो भला हम उन्हें कैसे साथ लेकर चले क्यों की समाज को खुद जिम्मेदारी लेनी होगी की हमारा विकास कैसे हो किस रूप में हो इसका जिम्मेदार समाज खुद है !क्यों की समाज से ही हर प्रकार के अच्छे बुरे नियम और भी सब कुछ समाज पर ही निर्भर करता है इसका कोई और जिम्मेदार नहीं  है ! कुछ बेकार की असमाजिक तत्व को बाहर निकल कर फेकना जरुरी है ताकि हमारा समाज अच्छा हो और हमारे समाज का जो भी भविष्य हो वह बहुत ही अच्छा होना चाहिये! कुछ लोग अपनी ज़िन्दगी को सिर्फ चाटुकारिता के बरदौलत ही चला पाते है ऐसा आप को मै समझता हु की हर जगह पर देखने को मिलेगी हमारे समाज में चाटुकारिता वाले बहुत लोग है जो की सिर्फ इधर उधर ही लगे रहते है और हम उसके खिलाफ भड़काना आप को मेरे खिलाफ भड़काना यही उनका बिज़्नेस होता है एक तरह का ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए क्यों की ऐसे लोग अपने भले के चक्कर में किसी को भी अपना शिकार बना सकते है ! क्युकी की ये लोग दिखने के कुछ और होते है लेकिन असलियत में ये कुछ और ही होते है इन्हे देख कर चलना बड़ी बात है क्यों की इन्हे नजर अंदाज करना सबसे बड़ी गलती साबित हो सकती है और ऐसे लोगों का जीवन कोई जीवन नहीं होता है असलियत में तो इनकी ज़िन्दगी किसी के लिए अच्छी साबित ही नहीं हो सकती है!और ये पूरी ज़िन्दगी अपने चाटुकारिता के दम पर जीते रहते है

 आज का समाज हमारे यहाँ ये देखा जा रहा है की हम लोग यहाँ क्या नहीं कर रहे है कुछ लोग नाम कमाने के चक्कर में लगे है तो वही कुछ पैसा जिसे हम कहते है की नाम, शोहरत, पैसा ! लेकिन लोग इसके पीछे मानवता क्यों भूल जा रहे है लोग अब आज कल फेसबुक, ट्विटर पर ही अपनी सारी हदें पर कर दे रहे है वो उसी पर गालिया लिखना ,किसी के बारे में गलत लिखना ,और अब तो रिश्ते भी वही निभाए जाने लगे है लोग अक्सर अपने माँ या बाप को हॉस्पिटल लेकर गए तो वो भी वो अपडेट डालते रहते है फीलिंग औसम और क्या क्या ये सब मै देखता रहता हु की वो कही कुछ  ही किये तो वो उसे फेस-बुक ट्विटर पर जरूर डालते है क्या ये सही है आज की दुनिया कितनी अकेली हो गयी है !लोग कितने तनहा हो गए है वो इंटरनेट पर ही ख़ुशी और गम दोनों ढूढ़ रहे है ! लेकिन क्या हमें शांति मिलती है ये उनसे पूछने के बाद ही पता चल पायेगा !हमारे यहाँ ये सब केवल ये लोग नाम के लिए शायद करते है यहाँ तक की अब तो सोशल मीडिया इतना अच्छा सहारा है पर इसका लोग गलत इस्तेमाल कर रहे है वोह इसी में अपनों को भी ढूढ़ना चाहते है ! आज के समय में नाम करना भी कितना सही समय चल रहा है अगर कुछ करना है तो लड़की या धर्म का सहारा ले लो क्यों की मीडिया वाले ख़बरों को वहाँ पर ज्यादा धयान दे पाते है जहा पर कुछ मामला लड़की,या फिर धर्म से जुड़ा हो ! और वो उसे हीरो बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते है इस प्रकार से हमारे समाज में आज क्या हो रहा है इसे कोई नहीं देख पा रहा है हर किसी के दो रूप है कौन सा रूप कब दिखाना है यह उसे अच्छे से मालूम है मुझे तो ऐसा लगता है जैसे इंसान को अब किसी और इंसान की चाह ही न हो ! ऐसा कभी कभी मुझे देखने को लगता है आज के समय में कोई किसी को नहीं छोड़ रहा है वोह बस अपना देख रहा है ! उसे सिर्फ अपना दिख रहा है और यही सबसे बड़ी गलती है इंसान सोशल मीडिया के माध्यम से हर चीज पाने की ख्वाइश देख रहा है पर हमें तो आज भी याद है अपने माँ बाप के मार दुलार ,हमारे बचपन में जितना हमें प्यार मिला है उतना आज के समय में कोई माँ बाप अपने बच्चे को नहीं दे सकता है जिस प्रकार से आज आप देख सकते है की हमारे माँ बाप हमें किसी गलती पर मार देते थे तो हम रो कर चुप होते थे लेकिन आज के बच्चे तो अपने माँ बाप को बोल देते है की की तुमने मेरी बेज्जती की है उनको अपने माँ बाप से भी डॉट या मार खाने पर बेज्जती लगती है आज हमारा समाज ऐसा हो चूका है ! हमें अपने घर में बड़ो का आदर सम्मान सीखाया जाता था तो हम आज भी करते है पर अब तो बच्चो को क्या स्कूल वाले ही सब कुछ सिखाते है और वही वो सिख पाता है! जितना स्कूल वाले उसको सिखाते है ! जितना स्कूल वाले उसको सिखाते है ! आज मै आपको एक कहानी से जोड़ने की कोशिश करुगा और शायद मै  समझता हु की मै सही हु मुझे नहीं मालूम है की मै सही हु या गलत हु पर मै इसे आप तक पहुंचना जरुरी समझता हु जैसा की मुझे जो भी लगता है मै अपनी इस किताब में सब कुछ लिख दे रहा हु जो भी हो पर मै तो अपने पर विस्वाश करता ही हु और इसी विश्वास के साथ में मै आप तक एक कहानी मीडिया न्यूज़ चॅनेल के माध्यम से बताया गया है पर हमें जो लगता है मै वोह यहाँ पर लिखना चाहता हु और अब आगे –आप सब ने मीडिया के द्वारा दिखाए गए न्यूज़ तो जरूर देखते होंगे शायद आप उसे सोचते भी होंगे और उसके बारे में भी सोचते होंगे !जो न्यूज़ आप देखते है मै भी ऐसे ही कुछ सोच रहा था एक न्यूज़ आयी थी अभी कुछ दिन पहले की ही बात है की कोई लड़की किसी लड़के को अगवा कर लिया है न्यूज़ वालो ने उसे पिस्तौल रानी नाम से नवाजा इसके बाद देखने को मिलता है की वोह पिस्तौल रानी अपने पर किये को शर्मिंदा नहीं है बल्कि वोह हंस हंस कर पुलिस को जवाब दे रही है रही बात जो अगवा किया गया था लड़का वोह भी पुलिस को मिल जाता है लेकिन वोह पूरी तरह सहमा हुआ सा लगता है !ऐसा वोह रो रो कर बेहाल दिखया जाता  है और पिस्तौल रानी हंस रही है !मीडिया के पूछने पर भी वोह हंस रही है और वोह पूरा जवाब दे रही है कहा जा रहा था की वोह लड़की शादी के मंडप से उसको पिस्तौल के दम पर अगवा कर चुकी थी वोह लड़का दूल्हा बना फेरे लेने वाला था दूसरी लड़की के साथ ! पर पिस्तौल रानी ने बताया की इनकी सात सालों से दोस्त है और वोह इन्हे सात सालो से जानती है तोह कैसे दूसरी लड़की से शादी कर रहा है और पिस्तौल रानी ने बताया की इनसे शादी भी पहले हुई है पर लड़के ने इस बात से मना कर दिया! और इसका कोई साबुत भी नहीं है इस लड़की के पास और लड़का बोल रहा है ऐसा कुछ नहीं है ये मेरे साथ जबरदस्ती कर रही है! लड़का इस बात पर साफ़ साफ़ मना कर रहा है! और पिस्तौल रानी अपनी बोल रही है पिस्तौल रानी ये भी बोल रही है की मैं पिस्टल लेकर ही नहीं गयी थी जबकि वहा पर लोगों ने ये देखा भी है! की पिस्तौल रानी पिस्टल के दम पर वहा से उसे उठा कर लायी थी लेकिन पुलिस इसका कुछ भी नहीं कर रही है मीडिया के द्वारा दिखाया गया न्यूज़ कुछ ऐसा ही लग रहा है क्यों की कोई भी इंसान को कुछ करना  है तो उसे प्लानिंग करनी पड़ती है और ये उस लड़की की प्लानिंग की बात नहीं की जा रही है बल्कि उसे बाह बाही मिल रही है उसका नाम भी पिस्तौल रानी रखा जा रहा है और जैसा देखने में लग रहा है की क्या हो रहा है ऐसी ये स्टोरी चल रही हैमैं केवल इतना सोच रहा हु की अगर किसी लड़के ने ये काम किया होता तो मीडिया वाले उसे कौन सा नाम देते ! अगर किसी लड़के ने किसी लड़की के साथ ऐसा किया होता तो सबसे पहले होता की इसके साथ बलात्कार कर दिया है फिर इसे कौन सी सजा देनी है इसने ऐसा कैसे किया क्या प्लानिंग थी इनकी लेकिन इस केस में  ऐसा कुछ भी नहीं दिख रहा है बल्कि पिस्तौल रानी अपने किये पर पूरा खुश है और वोह बोल रही है की मैं पिस्तौल लेकर गयी ही नहीं लेकिन क्या वहा पर रहे लोग गलत बोल रहे है या फिर मीडिया गलत दिखा रही है मेरा मतलब सिर्फ इतना है कि हमारे समाज में क्या राजनीती चल रही है ये एकदम अलग ही है हमारे यहाँ सिर्फ जातिगत समाजगत राजनीती चली आ रही है वोह लड़का है उसे ये दंड लड़की है उसे कोई दंड नहीं ऐसा ही हर प्रकार से समाज में पॉलिटिक्स चलाया जा रहा है ये सिर्फ वोट बैंक का चक्कर है यहाँ पर सिंघासन मिलना चाहिए बस हमारे यहाँ का कानून ही ऐसा है आप सब को तो मालूम ही होगा हमारे यहाँ अगर आप एक बार जेल गए तो आपको कोई सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती है लेकिन कोई नेता जितनी बार चाहे उतनी बार जेल जाये और नेता रहे ! वोह जेल में रह कर भी चुनाव लड़ सकता है लेकिन आप जेल में रह कर वोट नहीं डाल सकते !और हमारे यहाँ अगर आपको बैंक में या फिर कोई भी सरकारी नौकरी पानी है तो उसकी डिग्री होनी चाहिए लेकिन आपको प्रधान मंत्री ,मुख्या मंत्री या कृषि मंत्री और भी बहुत कुछ बनने के लिए कोई भी डिग्री की जरुरत नहीं है ! तो हमारे यहाँ का यही कानून है ! अब मैं आपको फिर से कहानी पर ले जाना चाहता हु क्या आप सोचो इसमें लड़के ने क्या किया होगा या फिर लड़की ऐसा जबरदस्ती कर रही है क्या ये सच है क्या लड़की शादी के पहले नहीं जानती थी जबकि वोह बोल रही है मैं इसको सात साल से जानती हु तो क्या वोह यह नहीं जानती थी क्या वोह कोई पुब्लिकसिटी पाने के चक्कर में ऐसा कर रही है मेरे दिमाग में तो ऐसे हजारों सवाल आ रहे है अगर पुलिस के पास यही लड़का होता तोह शायद अभी तक पुलिस इसे मार मार कर सब कुछ पूछ लेती लेकिन शायद इससे ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है ! क्यों की अभी तो उसे मीडिया ने एक नया नाम दे दिया है पिस्तौल रानी अब देरी है की पिस्तौल रानी नाम का फायदा उठा ले क्यों की पब्लिकसिटी तो अब मिल ही गयी है न नाम सही बदनाम सही क्या करे अभी वोह सोच कर किया होगा न ये सब लेकिन अभी तक पुलिस के हाथ ऐसा कुछ भी नहीं लगा है केवल वोह लोग लड़के को पकड़ कर रख लिए है जितना मीडिया ने दिखाया है मैं किसी की तरफ दरी नहीं कर रहा हु केवल जितना मीडिया ने दिखाया है उतना को ही मैं बिस्तार कर रहा हु क्यों की यह जानना भी जरुरी है की ये बात क्या है ऐसा क्यों मेरे मन में जो भी सवाल जवाब आते है मैं अपनी इस किताब म सब लिख देता हु की मुझे ऐसा ही लग रहा है की मेरे किताब पढ़ने वालों को भी ऐसा लगता है मैं सही हु या नहीं मुझे नहीं पता है लेकिन अपने ऊपर भरोसा पूरा है की मैं जो भी लिख रहा हु सही समझ कर ही लिख रहा हु आप इस चीज को कितनी तबज्जो देते है आप इस चीज को खुद भी सोच सकते है की आज हमारे देश में बलात्कार जैसी घटनाये सामने आती ही रहती है क्यों की हमारे यहाँ का कानून ऐसा है इसलिए इतना ज्यादा किसी को कोई डर नहीं है आज इस लड़की ने जो भी किया मैं सोच रहा हु की इसने गलत किया या सही ये यहाँ पर नहीं देख रहा हु केवल इसकी क्या आगे की प्लानिंग है ये अपने आप को क्या साबित करना चाहती है मैं केवल इतना देख रहा हु क्युकी ये झूठ तो बोल रही है हो सकता है की ये अपने जाल में फ़साना चाहती हो जब न फसा तो उसे उल्टा फसा दिया गया हो क्यों की आज कल हमारे यहाँ लड़किया भी बहुत आगे जा रही है लेकिन जहा जितनी अच्छाई होती है वही उतनी बुराई भी होती है तो कुछ तो लड़कियां ऐसी भी है जो अपने भले के चक्कर में दूसरों को भी बर्बाद कर देने में कोई कसर नहीं छोड़ती है मैं तो सोशल मीडिआ में भी आये दिन कुछ न कुछ बहुत कुछ देखता रहता हु  

जैसा की अपने और भी एक न्यूज़ देखा होगा की उत्तर प्रदेश में एक बिधायक ने एक महिला आईपीएस को डाट दिया था और वोह महिला रो- रो कर किसी फिल्म की डायलॉग दे रही थी उस पर लोग बोल रहे थे की बेचारी लड़की को नेता ने ऐसा कहा वैसा कहा मीडिया ने भी खूब दिखाया लेकिन किसी ने यह नहीं दिखया की ऐसा क्यों हुआ था क्यों की वोह प्रेग्नेंट लेडीज

पर धक्का मारी थी! बूढी महिला को धकेला था लेकिन लोगों ने सिर्फ उसको बेचारी बताया बाद में कुछ नहीं बहुत लोगों ने इसका बिरोध किया की नहीं नेता सही थे! तो ऐसा ही हाल है हमारे समाज का आज कल क्या कर सकते है ये सोचना पड़ता है क्यों मैं एक लेखक हु! आज के समय में अगर हम देखे तो सबसे कठिन काम है सामाजिक इंसान बनना क्यों की हर इंसान अब केवल वह अपने अपना परिवार सिर्फ वही तक वोह सिमित में है! कोई किसी को देखने वाला नहीं है न कोई किसी से मतलब रखने वाला है यहाँ हर इंसान का गम इतना है की वोह किसी दूसरे से नहीं कह सकता है वह अपने में ही परेशान है लेकिन मै ऐसा समझता हु की जैसे जैसे लोग नए हो रहे है वैसे वैसे परेशिनिया भी नयी नयी आने लगी है इंसान जैसे जैसे नयी नयी तकनिकी से जुड़ रहा है वैसे वैसे ही नयी नयी परेशानिया भी उसको सताने लगी है!

आज मैं एक और नयी कहानी और समाज के एक और नए तरीके के बारे में बताने की कोशिश करुगा मुझे नहीं पता है की मैं कहा तक कितना सही हु और कितना गलत हु ! मैं आज कल यह समाज में एक नयी सी चहल देखता हु जिसका नाम है बॉय फ्रेंड एंड गर्ल फ्रेंड ,जो की प्यार भाषा बताते है की हम प्यार करते है !लेकिन वैसे मैं एक चीज साफ कर देना चाहता हु की प्यार करना कोई गलत नहीं है लेकिन है प्यार करने की नियत साफ होनी चाहिए ! क्यों की प्यार किसी को किसी से भी हो सकता है !लेकिन इश्क एक ऐसी बीमारी है जो किसी खाश इंसान से ही होता है जिसमे दो जिस्म होना जरुरी है !ल लेकिन प्यार परिवार से भी होता है लेकिन इश्क परिवार से नहीं बल्कि अपनी पत्नी अपने पति या फिर कोई और से ही संभव है और मोहब्बत ऐसी ही कुछ चीज है जिसमे लोग पागल तक हो जाते है चाहे वोह अपनी मात्रा भूमि से हो या फिर अपनी किसी खास से हो लेकिन हमें इस पर भरोसा नहीं होता है जो आज कल हमारे आस पास का माहौल बना दिया गया है बॉय फ्रेड का और गर्ल फ्रेड का मुझे इस पर जरा भी भरोसा नहीं होता है क्यों की मैं तो इसमें लोगों को रोते हुए ही पाता हु चाहे मेरी ज़िन्दगी २००६ से अब तक का जो सफर है मैंने यही देखा की लोग एक दूसरे के जिस्म के भूखे होते है लेकिन प्यार मोहब्बत इसका कोई भूखा नहीं होता है यह एक मन का मैल है की हम एक दूसरे से बहुत प्यार करते है हम बहुत मोहब्त करते है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है ! जहा तक मैं मानता हु की लोग बहुत बदल चुके है जो लोग अपने माँ बाप को धोखा करके किसी को प्यार के जाल में फसा रहे है मैं यह कैसे मान लू की वोह सामने वाले को नहीं फसा रहे है ! इतना सौक है तो मैं यह मानता हु की शायद मेरे बाप दादा सही थे जो बचपन में ही शादी कर देते थे ! और क्या यदि हम समाज में उतर कर देखे तो आज कल  दस से पन्दरह साल के होते होते वोह इन सब चक्करो में आ ही जाते है !और आज कल की यह टेक्निकल दुनिया बहुत बिकास पर है कोई कही ब्यस्त है तो कोई कही पर ! पर मुझे यह समझ नहीं आता है की लोग ऐसा क्यों करते है किसी को धोखा देना भी क्या अपने लिए सही साबित होता है!! मुझे ऐसा क्यों लगता है की यह एक गलत मन की कहानी बनती जा रही है! अगर प्रेम में शारीरिक संबंध से आपका अभिप्राय विवाह से पहले शारीरिक संबंधों से है तो मेरा उत्तर “नहीं” होगा.!!!!!! . प्रेम में शारीरिक संबंधों की जरूरत नहीं होती.. प्रेम की अपनी सुंदरता है, कितनी सुंदर तरीकों से अपने आप को व्यक्त करता है? अलग-अलग तरह से.. अपने प्रियतम की आंखों में आंखें डाल कर देखें उनका हाथ अपने हाथों में ले कर देखें वह सब दिल की बातें जो आप किसी से ना कर पाए उनसे कहें.. प्रेम केवल शारीरिक संबंध ही नहीं, क्या पता? यह बाद में बरसों की गहरी मित्रता के रूप में सामने आए. वह प्रेम ही तो होता है जब दो प्यार करने वाले आंखों में आंखें डाल, हाथों में हाथ डाले बिना कुछ कहे कितना कुछ एक दूसरे से कह जाते हैं दिल की धड़कन तो जैसे काबू में ही नहीं रहती…. प्रे म तो प्रेम है इसे किसी खांचे में मत डालिए. आपको सच्चा प्रेम करने वाला कभी भी आपको ऐसे संबंधों के लिए मजबूर नहीं करेगा. कई लोग ऐसे विचारों को दकियानूसी विचार कहेंगे… एक लड़का अगर किसी लड़की से सच में प्यार करता है तो यकीन मानिए कि वह उसे उसी तरह रखेगा जैसे कोई अपने घर के मंदिर में कोई पवित्र किताब रखता है, ना कि सस्ती नॉवेल की तरह तकिए के नीचे रखेगा.. उसे ऐसे ही सुरक्षित महसूस कराना चाहेगा जैसा वह अपनी बहन को करवाता है! अगर दो जनों को अपने रिश्ते में विश्वास होगा तो वह स्वयं किसी प्रकार की सीमा पार करने से बचेंगे., एक लड़की अगर विवाह पूर्व शारीरिक संबंधों में पड़ती हैं तो कई प्रकार के असुरक्षाओं से से घिर जाती है! उसे पता चलता है कि उसका प्रेमी अब उसे पहले जैसा सम्मान नहीं देता, उसे यह बात खाने लगती है कि अगर उनके रिश्ते की परिणिति शादी के रूप में नहीं हुई तो क्या होगा? ऊपर से अगर गर्भधारण जैसी कोई समस्या आ जाए तो उसका डर और परेशानी अलग… मैंने देखा है लड़कियां या लड़के इस ग्लानि भाव को यह कहकर,नकारते हैं कि सारी दुनिया ही ऐसा कर रही है अगर मैंने कर लिया तो क्या हो गया.? . ठीक है अगर आप इतने ही आधुनिक हैं तो जैसा अपनी प्रेमिका के साथ करते हैं वैसा ही करने की इजाजत अपनी बहन, भाई, बेटे, बेटी को भी दीजिए.. जिस तराजू में दूसरों को तोलते हैं उसमे खुद भी बैठ कर देखिए !!

आज समाज में बदलाव आ रहा है! युवा अब देर से शादी करते हैं ऐसे में सेक्स संबंधों की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता लेकिन उन बच्चों का क्या जो 14 से 22 की उम्र में यह सब गलतियां कर लेते हैं, क्योंकि वह समझ ही नहीं होती ना ही अपने पार्टनर की असलियत की पहचान होती है..सो ऐसे संबंधों को कैसे उचित ठहराया जा सकता है? अगर अपनी बेटी इन नियमों की धज्जियां उड़ाए तो हमें अपनी भारतीयता भी याद आती है और जो आधुनिकता का झूठा नकाब ओढ़े रहते हैं वह भी हमारे मुंह से उतर जाता है… विवाह पूर्व प्रेम में शारीरिक संबंध ना बनाना यह कोई पुरानी दकियानूसी सोच नहीं बल्कि हमें हमारी समाज द्वारा दिए गए अमूल्य धरोहर है, सकारात्मक विचार है क्योंकि इन्हीं विचारों के दम पर आज हमारे देश में शादियां सफल है. याद रखिए स्पर्श की भी अपनी एक स्मृति होती है जो हमें कभी नहीं भूलती, चाहे ऊपरी तौर पर हम इसे भुला दें लेकिन जब ऐसे ही लड़के या लड़की की शादी किसी और पार्टनर से होती है तो उनकी शादी में तनाव आते हैं क्योंकि एक अवचेतन मन में वह उस स्पर्श को नहीं भूले. साथ में मन ही मन तुलना भी शुरू हो जाती है फिर शादियां टूटने लगती हैं! लेकिन तथाकथित मॉडर्न होने के नाम पर अपनी जिम्मेदारियों से भागने के नाम पर, अय्याशी करने के नाम पर जो यह प्रथा का समर्थन हम कर रहे हैं.. वे समाज को कुछ भी सार्थक नहीं देने वाली, बस समाज का नैतिक पतन ही होगा !!

प्रेम में शारीरिक संबंध बनाना एक समय तक जरूरी नहीं है परन्तु कुछ पल ऐसे होते है जहां प्रेम को शारीरिक रूप में भी पाया जाता है।कुछ लोग ने ऐसी मानसिकता बना लिया है, और प्रेम को शरीर तक ही सीमित कर दिया है, उसे सिर्फ आपके शरीर की सुंदरता से प्रेम है, आपके व्यक्तित्व से नहीं।अब जो प्यार सिर्फ शरीर तक ही सीमित हो जाए वो तो प्यार नहीं हो सकता न, उसे वासना ( lust) कहते है, प्यार नहीं।प्यार किसी को शारीरिक रूप से हासिल करना नहीं बल्कि दो आत्माओं का मिलन होता है।प्यार तो एक ऐसा एहसस है जिसे दूर रहकर भी महसूस किया जा सकता है।!

भारत की महान संस्कृति और सभ्यता को बर्बाद करने का जिम्मेदार कौन है?

भारत की महान संस्कृति और सभ्यता को बर्बाद करने का जिम्मेदार किसी एक व्यक्ति को नहीं ठहराया जा सकता हैहमारी संस्कृति और सभ्यता को बर्बाद करने में, हम और आप हैं। हम और आप जानते हैं जो हमारे संस्कृति और सभ्यता को बर्बाद करेगी। उसी की ओर और आकर्षित होते हैं। भारत की संस्कृति और सभ्यता को शब्दों में ही समेट कर रख चुके हैं। इसे वास्तविकता का रूप देते ही नहीं।

भारतीय संस्कृति और सभ्यता बर्बाद न हो। इसके लिए, हमें और आप को अपनी संस्कृति और सभ्यता को वास्तविकता का रूप देना होगा। न कि शब्दों में समेट कर रखें।

संस्कृति आंतरिक अनुभूति से संबंधित है। जिसमें मन और हृदय की पवित्रता निहित हैं। इसमें कला, विज्ञान, और नृत्य और मानव जीवन के उच्चतर उपलब्धियां सम्मिलित हैं। संस्कृति मानव अन्तर्मन का उच्चतम स्तर है।

सभ्यता जीवन को जीने के बेहतर तरीके और कभी-कभी अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने समक्ष प्रकृति को झुका देना। इसके अंतर्गत समाजों को राजनैतिक रूप से सुपरिभाषित वर्गों में संगठित करना भी सम्मिलित है। जो भोजन, वस्त्र, संप्रेषण आदि विषय में अपने जीवन स्तर पर सुधारने का प्रयास करते रहना। मानव समाज के सकारात्मक, प्रगतिशील और समावेशी विकास को करना, उन्नत कृषि और व्यापार, व्यवसायिक और नागरीकरण की विशेषज्ञता आदि की उन्नत स्थिति हो। इन मूल तत्वों के अलावा,सभ्यता कुछ माध्यमिक तत्वों, जैसे विकसित यातायात व्यवस्था, लेखन, मापन के मानक, संविदा और नुकसानी पर आधारित विधि व्यवस्था, कला के महान शैलियों, गणित, उन्नत धातुकर्म एवं खगोल विद्या आदि स्थिति से परिभाषित होती है।

पति पत्नी में रिश्ता कैसा होना चाहिए

जब आप किसी के साथ प्यार के रिश्ते में बंधती है तो आपके भीतर कई सपने जन्म लेते है। समय के साथ साथ रिश्ता मजबूत होता है और प्यार से भर भी जाता है। लेकिन कई बार इस रिश्ते में वह जिंदादिली नहीं रहती जो होनी चाहिए। जब कोई रिश्ता लम्बे समय तक चलता है तो उसकी मिठास तो बनी रहती है लेकिन कभी कभी उसमे वो उत्साह नहीं रहता जो दिल को ख़ुशी देता है। मनोचिकित्सकों के लिए भी वर्षो से यह शोध का विषय रहा है। रिश्ते की सफलता के लिए आखिर जरुरी क्या है ? प्यार के साथ साथ वे कौन सी चीज़े है जो आपको पार्टनर के प्रति हमेशा आकर्षित करती है ? यूँ तो हर रिश्तो को बनाये रखने के लिए दोनों पार्टनर की कोशिशे मायने रखती है। लेकिन ऐसा लगता है कि रिश्तो का उत्साह खो रहा है और रिश्ता नीरसता की और जा रहा है। तो इन कोशिशों में इजाफे की जरुरत होती है। कुछ ऐसी छोटी छोटी बाते हैं जिनसे आप अपने रिश्ते को हमेशा जिंदादिल बनाये रख सकते है।

कैसे थे वो दिन

आपको याद है कि आपको प्यार कैसे हुआ था। आपके पार्टनर की वो कोन सी बात थी जिसने आपका दिल जीत लिया था। अगर भूल गए है तो खुद को भी याद दिलाये और अपने पार्टनर को भी अपने प्यार के वे पुराने दिन फिर से अपनी जिंदगी में वापस लाये। उन पुरानी जगहों और शहरों में घूमे जहाँ आप शुरुआती दिनों में पहले घूमते थे। उन रेस्टोरेंट में जाये जहाँ आप घंटो कॉफी पीने के बहाने बिता देते थे। अपने पार्टनर को याद दिलाये उनकी कौन सी बात थी जो आपको बेहत पसंद थी। पुराने दिनों की बात आपके फिर उन्ही इमोशन को जगाएगी जब रिश्तो में नयापन था उत्साह था। किसी भी रिश्ते की नीव क्या थी ? इसे याद रखना और उसे हमेशा वही महत्व देना बेहद जरूरी होता है।रिश्ते को एक गति चाहिए ख़ुशी और उमंग चाहिए सम्मान चाहिए और प्यार भी चाहिए लेकिन उम्र की वजह से रिश्ते चमक खो रहे है। तो फिर नई सोच चाहिए एक नया नजरिया चाहिए। एक बार फिर से अजनबी बनकर तो देखिये रिश्तो में नए रंग चमकेंगे।

खेले खेल बांटे खुशियाँ 

 खेलना सिर्फ बच्चो का ही काम नहीं होता बल्कि खेल कभी कभी बड़ो की जिंदगी की कई मुश्किलों को आसान कर देता है तो कुछ समय के लिए बच्चे बन जाये और अपने पार्टनर के साथ कुछ खेल खेले। अपना या अपने पार्टनर का पसंदीदा स्पोर्ट चुनकर उसे समय दे,खाये बिना डाइट की चिंता कियेबिना कैलोरी देखे। अपने पार्टनर के साथ एक फ़ूड डेट पर जाये और एक साथ खाने का आनंद उठाये। कोई कॉमेडी फिल्म एक साथ देखे और दिल खोलकर हँसे। ये तीन काम सुनने में तो बहुत आम से लगते है लेकिन यही तीन स्टेप आपको अपने रिश्ते की सबसे ऊंची सीढ़ी पर ले जायेंगे और आपके रिश्ते को हंसी ख़ुशी से भर देंगे। 

कुछ पल सिर्फ आपके लिए  -

मोबाइल और T.V हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गए है। खासतौर पर मोबाइल तो हमारे साथ रहता है और सोशल मीडिया के हम आदी हो चुके हैं। लेकिन कुछ देर बिलकुल अनसोशल हो जाये और साथी के साथ वक्त बिताइए। हर दिन कम से कम आधा घंटा ऐसा होना चाहिए जब आप मोबाईल साइड में रखकर सिर्फ अपने साथी पर पूरा ध्यान दे। इस मोबाइल फ्री टाइम को अपने रुटीन का हिस्सा बनाये। उससे बात करे और उसकी बात ध्यान से सुने। धीरे धीरे आपको इस मोबाइल फ्री टाइम में इतना मजा आएगा की आप इसका इन्तजार करेंगे। 

एक फ़ोन भी होता है काफी 

कभी कभी आप ऑफिस में काफी व्यस्त हो काम में डूबी हुई हो और अचानक आपके पार्टनर का कॉल आ जाये सिर्फ यह पूछने के लिए कि आप कैसे है तो कितना अच्छा लगता है। कभी कभी रोज के बिजी शेडयुल से 2 मिंट निकालकर अपने साथी को फोन करे। उन्होंने खाना खाया या नहींकाम कैसा चल रहा हैकुछ भी पूछने के लिए या बस युँ ही आवाज सुनने के लिए कॉल करे। यह एहसास ही कि बिजी रहने के बाद भी उन्हें आपका या आपको उनका ख्याल आया इस रिश्ते को रोमांच से भर देगा। 

एक साथ कुछ नया –

पुरानी बाते तो आपने याद कर ली लेकिन अब वक्त है कुछ नया करने काकुछ ऐसा करे जो आपने कभी न किया हो। स्विमिंगकुकिंगपैराग्लाइडिंगट्रेकिंग कुछ भी ऐसा जो आपने करने की नहीं सोची हो। अब करिये अपने साथी के साथ और पुरे जोश से करिये। उस नए में आप सफल हो या न हो लेकिन साथी के साथ उस  चुनौती का सामना करना आप दोनों को और करीब लाएगा। यह काम आपका यह विश्वास मजबूत करेगा कि  स्तिथि कैसी भी हो आप एक दूसरे के साथ खड़े रहेंगे। यह भरोसा आपके रिश्ते में एक उत्साह एक स्पार्क लाएगा। 

चमत्कार की तरह 

आप एक दूसरे को जन्मदिन पर शादी की सालगिरह पर तोहफे तो देते ही होंगे। लेकिन कभी बिना किसी मौके के भी तोहफा दीजिये। बस किसी दिन युँ ही अपने पार्टनर को एक सरप्राइज़ गिफ्ट देकर उसे हैरान कर दे। गिफ्ट फूलो का बुके भी हो सकता है और मूलयवान अंगूठी भी।...... गिफ्ट का मूल्य महत्व नहीं रखता बल्कि आपकी भावनाये दिखनी जरुरी है। सरप्राइज किसी भी मौके और किसी भी रिश्तो को एक अलग ही उत्साह से भर देता है।

कुछ और करीब  

उद्देश्य चाहे जीवन का हो या फिर करियर का या फिर वीकेंड का..... साथ मिलकर लिया जाये तो मजा ही कुछ और होता है। अपने पार्टनर के साथ जीवन में क्या करना है क्या पाना है। यह तय करे। मिलकर अपने लक्ष्य बनाये और उन्हें कैसे पाना है इसकी रुपरेखा तैयार करे। यह काम आपको भविष्य के प्रति सकारात्मक सोच देगा और साथी के और करीब लाएगा।

संवरे भी और सँवारे भी –

आप पार्टी या किसी फंक्शन में जाने के लिए तो तैयार होते ही है छुट्टी वाले दिन किसी एक्स्ट्रा तैयारी के साथ सजे संवरे। पार्टनर को भी इसके लिए प्रेरित करे दोनों मिलकर किचन में कुछ स्पेशल बनाये और स्पेशल खाने को स्पेशल तरीके से तैयार होकर खाये। जरुरी नहीं कि आप तभी तैयार हो जब बाहर जा रहे हो घर में सिर्फ एक दूसरे के लिए भी तैयार होना उत्साह से भर देगा। 

जीत को दोनों की जीत बनाये 

प्यार का रिश्ता एक ऐसा रिश्ता है जिसमे दूसरे की ख़ुशी भी आपको उतनी ही ख़ुशी देती है जितनी खुद की। दूसरे की जीत भी अपनी लगती है इसलिए यह एहसास कभी फीका न होने दे। सफलता छोटी हो या बड़ी आपकी हो या आपके पार्टनर की उसका जशन जरूर मनाये। विफलताओं को खुद पर या अपने रिश्ते पर हावी न होने दे। जब छोटी सफलताएं भी बड़ी ख़ुशी देंगी तो आपका रिश्ता प्यार से और भर जायेगा।


एक दूसरे की जरुरतें  

यह सच है कि साथ रहते रहते ही हमें एक दूसरे की जरूरतें पता चलती है और हम उन्हें पूरा भी कर ही देते है। लेकिन एक नए सिरे से यह काम करे पार्टनर एक दूसरे से उनकी जरूरते पूछे। पूछे जीवन के इस मोड़ पर उन्हें क्या चाहिए ? वे कहाँ जाना चाहते है ? क्या करना चाहते है ? इसको एक गेम की तरह भी कर सकते हैं जैसे पार्टनर की तीन जरूरते पूछें और फिर उन्हें पूरा करने में पूरे दिल से उनका साथ दे। ये जरूरते किसी भी तरह की हो सकती है। करियर के सफर से जुडी कुछ भी एक दूसरे का यह बताना की उसको आपकी जरूरतों का एहसास है और उसे पूरा करने में आप उनके साथ है कभी कभी रिश्ते में जादू कर सकता है। 

 

परफेक्ट कुछ भी नहीं –

कुछ भी परफेक्ट नहीं होता न लोग और न ही रिश्ते। हर इंसान में कुछ कमियाँ होती है और हर रिश्ते में मुश्किल वक्त आता है। इसलिए अपने रिश्ते या अपने पार्टनर से परफेक्ट होने की उम्मीद न करे। अपने पार्टनर की कमियों को स्वीकार करे और उन्हें सम्मान दे। रिश्ते में उतार चढ़ाव आते है इसलिए कभी टेंशन हो तो कुछ बुरा बोलने या बुरा व्यवहार करने से बचे। इसलिए न आप अपने वक्त को और उत्साह से जियेंगे बल्कि मुश्किल वक्त को भी हँसते हँसते पार कर जायेगे। एक सफल रिश्ते का यही मूल मंत्र है। 

कह दे Sorry-

अगर आपसे कोई गलती हो गई हो तो उसे मानने या माफ़ी मांगने में कोई हर्ज नहीं। प्यार से मुस्कुरा कर बोला गया एक सॉरी कई सारी मुश्किलों को आने से पहले ही दूर कर देगा। रिश्ते में एक थ्रिल एक स्पार्क सिर्फ अच्छे वक्त में ही नहीं आता बल्कि मुश्किल वक्त को अच्छे से पार करने में भी स्पार्क आता है। इसलिए अपनी गलती को माने और सॉरी बोलकर आगे बढे। अगर गलती आपके पार्टनर से हुई है तो उसको बिना कड़वा बोल बोले उसको उसकी गलती का एहसास कराये और ईगो को बीच में न लाये। ये आपमें दूरी पैदा कर सकता है। 

और फिर आजादी 

Me Time" के बारे में तो अपने सुना ही होगा। यानि वह समय जो सिर्फ आपका है और जिसमे आप अपने मन का कुछ भी करने के लिए आजाद हैं। अपने पार्टनर को इस "Me Time" का महत्व समझाए और एक दूसरे को कुछ "Me Time" दे। बाहर अकेले या दोस्तों के साथ घूमने जायेकोई मूवी देखेस्पा जाये या किसी भी तरह रिलैक्स करे। इस "Me Time" को अपनी तरह से बिताये। साथी से दूर बिताया गया यह टाइम आपको उसके और करीब ले आएगा। एक खुशनुमा मन आपके आसपास के लोगो को भी ख़ुशी देगा। अकेले में खुद को आराम देने के बाद आप अपने पार्टनर के साथ जो वक्त बिताएंगे उसमे अलग ही आकर्षण होगा। 

ईमानदारी - 
*॥ हर काम ईमानदारी और रुचि से करें॥*
 *जो भी काम करो, उसे "आदर्श," "स्वच्छ," "उत्कृष्ट," "पूरा," "खरा" तथा "शानदार" करो ।* अपनी *"ईमानदारी"* और *"दिलचस्पी"* को पूरी तरह उसमें जोड़ दो,  इस प्रकार किए हुए उत्कृष्ट कार्य ही तुम्हारे गौरव का सच्चा प्रतिष्ठापन कर सकने में समर्थ होंगे । अधूरे, अस्त -व्यस्त,फूहड़, निकम्मे, गंदे, नकली, मिलावटी, झूठे और कच्चे काम किसी भी मनुष्य का सबसे बड़ा तिरस्कार हो सकते हैं । *यह बात वही जानेगा, जिसे जीवन-विद्या के तथ्यों का पता होगा ।*
 *अपनी आदतों का सुधार, स्वभाव  का निर्माण, दृष्टिकोण का परिष्कार करना, जीवन-विद्या का आवश्यक अंग है ।* ओछी आदतें, कमीने स्वभाव और संकीर्ण दृष्टिकोण वाला कोई व्यक्ति सभ्य नहीं गिना जा सकता । उसे किसी का सच्चा प्रेम और गहरा विश्वास प्राप्त नहीं हो सकता । इस अभाव में वह सदा ओछा ही रहेगा, कोई बड़ी सफलता उसे कभी न मिल सकेगी । 
 *कहते हैं कि बड़े आदमी सदा चौड़े दिल और ऊँचे दिमाग के होते हैं ।* यहाँ *"शरीर की लंबाई-चौड़ाई"* से मतलब नहीं, वरन *"दृष्टिकोण की ऊँचाई"*  से ही अभिप्राय है । जिसे जीवन से प्रेम है, वह अपने आपको सुधारता है, अपने *"दृष्टिकोण को परिष्कृत"* करता है । फलस्वरूप *उसके सोचने और काम करने कें तरीके ऐसे हो जाते हैं, जिनके आधार पर महानता दिन-दिन समीप आती जाती है ।*

Rahul “Nitin”Gupta (BE Civil Engineering ,PMP,MBA Project Management ) is Project Director of this organization he have 8 years of experience in construction industry .He is experts in Site execution, planning , billing department ,Technical advisor .

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