मोहब्बत के ये चर्चे
आज कल मोहब्बत के ये चर्चे बड़े मशहूर है
न जान पाया मैं आज तक मिलता क्या है इसमें
समझ में मुझे भी नहीं आता ऐसा की ये मोहब्बत होती
है क्यों
जो जाये तो हो के ही रहती है वर्षो बाद कोई मिला
है
और सालों बाद किसी को खो के पाया है ,
मोहब्बत के ये चर्चे अड़े अजीब है न
कोई इसे मोहब्बत नाम दे देता है तो कोई इसे
मशहूर कर देता है न जाने क्यों ऐसा होता है
न जाने क्यों ऐसा होता है फिर भी होता ही है
क्या कोई किसी के खातिर इतना भी रो देता है !!
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