हम तो चले है आज यहाँ से वहा के लिए
चले थे कही से जब हम यहाँ के लिए
हम तो समंदर है न कोई किनारा हमारा
चले आज हम है यहाँ से वह के लिए
सोचते थे कभी रात में जब यहाँ के लिए
अब हम चले है यहाँ से वहां के लिए
कितने है गहरे हम हमें यह मालूम नहीं
पर बताना इतना जरुरी है की
चले आज हम है अब वहा के लिए
जहाँ पर बैठकर होगी दोस्तों की महफ़िल
चले आज हम है यहाँ से जहाँ के लिए
फिर से बनेगा ये "राहुल दीवाना"
तेरा
चले आज हम है यहाँ से जहाँ के लिए
न कोई गम न कोई दुःख बस समां है हमारा
चले आज हम है यहाँ से जहाँ के लिए
मुबारक हो समां यहाँ का अब मेरे हलात से
खुशनुमा बनी रहे सदा ये मेरे जुबां से
अब हम तो चले वहा के लिए ॥॥
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