पास बैठो
तुम पास बैठो मैं बात कर लू
दिल की हर बात तुमसे बता दू कही दूर न हो जाऊ
इस बात का गम रहता है लेकिन
मुझे पता है तुम मेरे बिन कैसे रह पाओगे
तुम पास बैठो मैं हर गम बता दू
तुम मेरी हो मैं तुम्हारा ये स्वीकार मुझको है
लेकिन क्या तुमको अब भी मुझ पर कोई संदेह नहीं
है
मैं गर्मी की धुप सा बादल हु तुम ढंडी की रात की
चांदनी
मैं वोह सूरज हु जो खुद जल कर लोगो को जला भी देता
है
लेकिन याद रहे एक दिन निकले वोह सूरज दुनिया सुनी
पड़ जाती है
तुम पास तो बैठो मेरे मुझे कुछ कहना है तुम्हे
तुम पास आ जाओ मेरे कहना है मुझे
तुम मुझे यु न देखो मैं कुछ कह दूंगा
शायद तुम्हारा हु कुछ कह दूंगा
तुम याद रखो या न रखो लेकिन कुछ कह दूंगा !!
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