जो दिल में था वही मैंने पसंद किया
थी खुसबू मेरे उस यार में
लेकिन जब हुआ मिलान सही समय पर
तो वही मुझसे बिछड़ गयी
जो दिल में था कही वही मैंने पसंद किया
शायद न था तजुर्बा प्यार का
जब से है वोह मुझको राह में छोड़ गयी
कोई मुझे अपना न बनाये
बस डर था उन्हें मेरे ऊपर कही
अभी भी अपने यादों की
चिंगारियां दिल पर मेरे छोड़ गयी
घाव दिल पर मेरे हुआ कहानी
ही कही वो मेरी पुरानी कविता बन गयी
अभी भी मुझे अपना सहस
न तोड़कर कही जाना है
जो कुछ मेरे यादों से
मेरे ही दिल में था कहीं
बस वही उड़त रंगत पसंद किया कहीं
सब पर कही कुछ हुआ ही था
तभी तो मैंने कविता , ही लिखना शुरू कर दिया
अभी भी कही पसंद किया ॥॥
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