लिया जन्म जब इसने 
हो रहा सबेरा था 
बज चुके थे सुबह के पांच 
शायद हो रहा सबेरा था 
चाँद चुप गया और 
सूरज का दर्शन हो गया 
ऐसे में
"राहुल दीवाना" पैदा हुआ 
माँ नीलम के अाचल में 
पिता राम अचल के अागन में 
हुआ नया सबेरा था 
माँ की सुनी सुनी गोंद
पिता की सुनी सुनी ऑंखें 
पूरी हुई
"राहुल दीवाने" से 
नए नए सपने लगी संजोने माँ 
बस ऐसे में ही पल रहा था 
हम सब में
"राहुल दीवाना"
पैदा होकर हुआ कवी 
इसे तो कुछ पता नहीं 
लिख बैठा जो कवितायेँ 
ऐसा ही कुछ"
राहुल दीवाना "था  
 
 

 
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