न तो तू आयी होती न तेरी याद आयी होती
मै तो यही का यही रह गया होता
पर तू यहाँ से कहा चली गयी
न तू आयी होती न तेरी याद आयी होती
हमेशा खुदा से मैंने सपने में भी
तेरी ख़ुशी और तेरा प्यार माँगा
ज़िन्दगी का सजा और मजा
क्या हुई ये खुद को मालूम नहीं
जाने तू किधर से उधर चली गयी
फिर भी मै यही का यही रह गया
न तू आयी होती न तेरी याद आयी होती
कहा से चला मै यहाँ के लिए
यहाँ से मै चला अब कहा के लिए
फिर भी मेरा क्या कसूर
जो तजु इधर से उधर भी है
जिधर भी तो देखु उधर भी तो है तू
पर मै कहा का कहा हो गया
न तू आयी न तेरी याद आयी
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