मेरी मोहब्बत
तुम मेरी मोहब्बत का ताज तुम हो
तुम मेरी मोहब्बत का सरताज तुम हो
तुम कोई ऐसी वैसी नहीं तुम एक खुद में गुलाब हो
तुम मेरी जीवन की एक किताब हो
तुम मेरी मोहब्बत का सरताज हो
जीवन में जब जब मुझको कोई संकट आये
तब तुम वहा पर याद आते हो
क्यू की तुमने हर दम साथ दिया है मेरा जो
तुम मेरी मोहब्बत का ताज तुम हो
मेरी गजलों मेरी कविता की आवाज हो तुम
तुम मेरी मैं तेरा बस दुनिया ये नाता है
लेकिन अपना हमारा कुछ और न हमको भाता है
तुम इतनी संघर्षो की कहानी की याद हो तुम
तुम मेरी कविता तुम मेरी गजलों की किताब हो तुम
तुमसे न कोई अच्छा तुमसे न कोई हमको प्यारा
बस याद तुम्हारी जब आती है तब हमको एक गीत नया
आ जाता है
तुम मेरी मोहब्बत का ताज हो तुम
लाख हवाएं आये जाये लेकिन ये सिंघासन हिल न पायेगा
जिस महल में रहती तुम हो उस के दरबारी हम है न
तुम मेरी मोहब्बत का ताज तुम हो
तुम मेरी मोहब्बत का सरताज तुम हो !!
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