दुनिया
दुनिया जिस याद को दर्द समझती है
ऐसे दर्द को हम नोके कलम पर रखते है
जिसे दुनिया जितना बेकार समझती है
उसे हम उतना इमांन समझते है
जिसे दुनिया एक ख्वाब समझती है
ऐसे ख्वाब को हम एक याद समझते है
जिसे दुनिया मुठी में लेती
उसे हम चुटकी सुना देते
जिस राख को दुनिया राख समझती है
उस राख को मै खाद समझता हु
जिसे दुनिया मुर्ख समझती है
उसे कही मै बिद्वान समझता हु
दुनिया जिसे है खुदा समझती
ऐसे खुदा को हम फर्याद समझते है
दुनिया जिसे बर्बाद समझती है
ऐसे बर्बाद को हम याद समझते है
दुनिया जिसे ऐश समझती है
ऐसे ऐश को मैं प्यास समझता हु
दुनिया जिसे बर्बाद कहा करती है
ऐसे बर्बादी को हम बरदान समझते है
दुनिया जिस याद को दर्द समझती है ,
ऐसे दर्द को हम नोके कलम पर रखते है ॥
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