मुसाफिर
सच बोल वो मुसाफिर
इन पन्नो पर है नाम तेरा
जादू जो है सर में तेरे
वोह दवा मेरे पास है
सच बोल वो मुसाफिर
इस पेन की नोक पर है नाम तेरा
है जो तेरे दिल में मुसाफिर
मेरे दिल के नोक पर लिखा है
लिख रहा हु वो गम पन्नो में
जो जख्म भरे है दिल पर
सच बोल वो मुसाफिर
सच को कहा छुपायेगा
है नहीं वो दम तुझमे अभी
जो झूठ बोल कर सफलता पायेगा
सत्य की होती है जित
असत्य हमेसा है चरणों में गिरता
सच बोल मेरे वो मुसाफिर
इस स्याही से लिखा जायेगा नाम तेरा
क्या पायेगा दुनिया के चुराने से
सच बोल वो मुसाफिर ॥॥
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