पापा है
पापा है तो जहा पूरा अपना है
पापा है तो बाजार अपना है
न गम है किसी के पास आने की
न गम है किसी से अलग होने की
पापा है तो घर का क्या गम
न जाने आज अलमारी कैसे खुल गयी
जो पुरानी डायरी मुझे मिल गयी
जहा सजो रखा था मैंने पापा की यादों को
न जाने की चिंता न आने का कोई गम
जब पापा है तो क्या है ज़िन्दगी का मन
पापा है तो पूरा जहा अपना है
न जाने क्यों ऐसा लगता है
सब छूट गया है मुझसे अब
आ जाओ मेरे पाप एक बार यहाँ
चाह कर भी मैं जा न पाउगा
सोच कर भी आपको छोड़ न मैं पाउगा
क्या बड़ा हुआ सब छूट गया
वो बचपन की अमीरी अब
जवानी की गरीबी में बदल गयी
आ जाओ पापा मेरे अब आ जाओ
इतना गुस्सा ठीक नहीं है अब
मान भी जाओ मान भी जाओ
मैं रूठा तो तुम मना न पाओगे
आ जाओ अब आ भी जाओ
पापा .है तो जहा पूरा अपना है
न कस्मे न वादे ,सब कुछ पूरा कर दो मेरे पापा
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