सो रहे है सब
उठेंगे ये कब
मै तो आ गया
पर तू आएगा कब
सो रहा है जग
जग रहे है हम
गम मेरे कविता में मेरे
पर तू सोचेगा कब
सुबह हो गयी है अब
ऑंखें तेरी खुलेगी कब
अब जग चुके है हम
तू उठेगा कब
क्या सोच रहा है
सोचने से क्या होगा
कर्म कर सोच मत
सफलता है मिलनी
मिलेगी सफलता
सो रहे है सब
उठेंगे ये कब ॥॥
0 Comments:
Please do not message any spam