जो हमें दे गए वतन वो लोग कुछ और थे
वो लोग कुछ और थे जो हमें चंद सांसे दे गए
वो लोग कुछ और थे जो सीने पर गोली खाकर हमको
हमको जीने का सहारा दे गए
यहाँ पर होती तो है राजनीती
लेकिन वो लोग ही कुछ और है
जो आज भी हमारे लिए खाते है सीने पर गोली
वो लोग कुछ और है जो हमें दे जाते है ज़िन्दगी
वो लोग कुछ और है जो हमें
दे जाते है हमारा"
भारत वर्ष "
हम तान के चादर सोते है
वो तन सीने पर गोली खाते है
हम आराम से घर पर रहते है
वो आराम से जंगलों में राते काटते है
हम जिनकी वजह से रहते है यहाँ पर
आज उन्ही की याद से "राहुल दीवाना
"
दे रहा है अपनी कविता से उनको
" शीर्ष नमन"
जय भारत जय भारत का गुणगान करो
जय जय जय हो का न्याय करो ...॥॥॥
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