ज़िन्दगी को
ज़िन्दगी को आज ऐसे मोड़ पर लाया हु
जहा से चला था वही आज फिर से आकर खड़ा हु
न जाने कैसी भूल हुई होगी मुझसे
जिसने मुझे आज फिर से रुलाया होगा
कहा मैंने बचपन में सुना था
लोग यु तो हजारो मिलते है ,लेकिन
हर कोई तुम सा कहा मिलेगा
मुझे न जाने क्या हुआ होगा
जो मैंने कह कुछ और दिया होगा
मैं रूठा तो हर बार मनाया तुमने
जो तुम रूठ एक बार ,
मानाने का औसर न दिया एक बार
मैं क्या समझू इसे समझ नहीं आता अब
लेकिन हा मेरी ज़िंदगी ने मुझे
उलटे पहाड़े भी सीखा दिए
मैं हार कर बिखर चूका था तब लेकिन
अब मैं बिखर कर निखर चूका हु
धन्य है खुदा का मुझ जैसे को
बचा कर रखा यहाँ तक
सफर तो बहुत लम्बा है अभी
लेकिन कंधे पर बोझ ज्यादा है
ज़िन्दगी को आज ऐसे मोड़ पर लाया हु !!
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