आँशु
कुछ करले ओ मुशाफिर
नहीं तो ज़िन्दगी आँशु
बनकर ढह जाएगी
सपने भी कुछ सोच ओ मुशाफिर
नहीं तो मुकद्दर भी तेरी बेवफा बन जाएगी
हौसले भी रख दिल में तू मुसाफिर
नहीं तो ज़िन्दगी भी रुलायेगी
कुछ तो करले ओ मुसाफिर
नहीं तो ठोकर ही तुझे इंसान बनाएगी
सोच तू ज़िन्दगी को ओ मुसाफिर
मुकद्दर भी तुझे चलना बताएगी
कुछ कहकर करले ओ मुसाफिर
कहना भी तुझे ये कविवर बताएगा
कुछ कर तो ले ओ मुसाफिर
चलना भी तुझे मेरे दोस्त सिखाएंगे
कुछ करने को चाहो अगर
तो पढ़ना भी तुझे गुरुवर बतायगे
कुछ करले ओ मुसाफिर
नहीं तो ज़िन्दगी आसुओ ,में ढह जाएगी .....
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