बिदा
ऐ मेरी दोस्त
अब मैं बिदा लेता हु
दिल करता है
तेरे समंदर जैसे ,
आँखों में डूब
जाऊ ,दिल करता है ,
तेरे केशव में
छिप जाऊ
ए मेरी दोस्त
अब मैं बिदा लेता हु
न जाने कौन
सा साल आखरी हो जाये
न जाने कौन
सी रात आखरी हो जाये
मन करता है
तेरे गुलाबी गालों में
कितना चुम्बन
मैं करता रह जाऊ
मन करता है
तेरे लहराती चाल का
दीवाना मैं
हो जाऊ ,
आ बैठ मेरे
पास तू अब क्यों की
ए मेरी दोस्त
अब मैं बिदा लेता हु
जो सोचा था
तुमने मुझसे
मैं पूरा न
कर पाया
उसकी सजा मुझे
तुम क्या दोगी
डर लगता है
तुमसे बिछड़ जाने का लेकिन
ए मेरी दोस्त
अब मैं बिदा लेता हु ॥
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