हर बुलंदियां
पूरी होगी दिल्ली में
हर हसरत पूरी होगी दिल्ली में
हर मंदिर दौड़ा हर मस्जिद दौड़ा
हर बार मैंने सोचा यहाँ पर
पूरी हो जाएगी अब हसरत मेरी ॥॥
क्या होती है ज़िन्दगी
जाना मैंने अब इसको ज़िन्दगी में
सोचता था कभी जब ज़िन्दगी के बारे में
न जाने क्यों लगता था न होगी
मेरी हसरत ज़िन्दगी में
मेरी यहाँ कहा होगी ज़िन्दगी
ज़िन्दगी बन तो गयी मेरी
उजाला कब ले आएगी ज़िन्दगी में
लेकिन हर हसरत पूरी होगी दिल्ली में
क्या होगा मेरा अब ज़िन्दगी में
कैसा कभी कभी लगता है
मुझको जाना होगा यहाँ
हसरतों की ज़िन्दगी में
अब रस्म रिवाज हसरत में
पूरी होगी अब होगी दिल्ली में॥॥
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