परदेशी
मैं परदेशी पहली बार आया हु
तुमसे मिलने की जो आदत है
बिन मिले न रह पाउगा
ऐसी ये हालत है
मै परदेशी पहली बार आया हु
मैं इतना ही नहीं कहता
मैं तो इतना भी जो कहता हु
मुझे तुमसे मिलाने को
हर सैय ने जब से चाहा है
तब से मेरी आखो के पानी न सभालते है
मुझे हर जर्रे ने पहचाना है
मुझे हर कस्ती ने देखा है
मुझे यु न भूल जाओ तुम
मैं परदेशी पहली बार मिलने आया हु
मुझे अपना कह करके तो देखो तुम
तुम्हे मुझसे ज्यादा कोई न चाहेगा
अपनी यादों को दुल्हन तुम बना लेना
जब मै मिलने आऊगा तुमसे अबकी बार द्वार !!
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