बचा लूंगा
हर गम से बचा लूंगा तुम्हे हर सास में छिपा लूंगा
तुम्हे
न होगा मुझ सा कोई दीवाना तेरा फिर इस जहा में
मैं हु ऐसा कुछ दीवाना तेरा ,हर बार गिर कर सभालना
जानता हु मैं
हर बार कुछ सोच कर रुक जाता हु मैं बस चाहता हु
की
मैं हर सास में छिपा लू तुम्हे हर बार ऐसा क्यों
लगता है मुझको
जैसे चाहत सी बन गयी हो तुम अब हमारी ,
जैसे दीवाना सा बन गया हु मैं तुम्हारा
कुछ जान कर कुछ पहचान कर कुछ सुन कर कुछ देख कर
न जाना न जान पाया हु अभी तक मैं !!
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