स्त्री /Stri Hindi Ghazal

स्त्री /Stri Hindi Ghazal

दर्द बहुत सभाले है मैंने
सोचा था बड़े होकर कुछ बन कर दिखाउंगी
दिन रात एक करके कुछ दुनिया में नाम कर जाऊगी
लेकिन क्या बताऊ बड़े होते ही माँ बाप ने कर दी परायी
अपने उन चाँद आसुओ के साथ कर दी मेरी बिदाई
सोचा कैसे सब कुछ सह पाउगी माँ बाप की ये जुदाई
सब कुछ यहाँ का बहुत याद आएगा
माँ के हाथ का खाना और मिढ़ाई
भूलूंगी मैं कैसे अपनी किताबे और अपना भाई
अपनी बहन के साथ वोह खट्टी मीठी लड़ाई
लो अब एक पल में मैं तो हो गयी परायी
जिसने इतने दिन दिल से इतने मेहनत से पाला मुझको
आज उसी ने एक पल में मुझको कर दिया परायी !!
दर्द बहुत सभाले है मैंने मेरा नाम है स्त्री !!
मानो तो मैं माँ हु मानो तो बहन मानो तो अच्छी दोस्त मानो तो आपकी अर्धांगिनी !!
लेकिन क्या कहु किससे कहु दर्द अपना मैं 
दर्द बहुत सभाले है मैंने मेरा नाम है स्त्री !!



Rahul “Nitin”Gupta (BE Civil Engineering ,PMP,MBA Project Management ) is Project Director of this organization he have 8 years of experience in construction industry .He is experts in Site execution, planning , billing department ,Technical advisor .

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