UPSC

यूपीएससी के बाजार की सच्चाई

● सभी को मालूम है यह पेपर 3 चरण का होता है लेकिन पूरा बाजार सिर्फ प्रारंभिक परीक्षा के कंधे पर टिका हुआ है ।

● और तीसरे चरण इंटब्यू का इस्तेमाल होता है लोगो को मूर्ख बनाने के लिए सभी कोचिंग वाले मॉक इंटरव्यू देने वालो को अपना छात्र बता कर नए बच्चो को मूर्ख बनाते है और सिलेक्ट हुआ व्यक्ति भी कुछ पैसों के लिए इस साजिश में शामिल होता है ।

कुछ अफवाह

● सब आप को ये कहते मिलेंगे की प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा की तैयारी अलग अलग नही होती है ,और इसी आधार पर सभी कोचिंग वाले प्रारंभिक+ मुख्य परीक्षा की तैयारी का पैकेज बाजार में बेचती है ।

● शुरुआत में किसी भी बच्चे को यह पूरा सत्य ही लगता है लेकिन

क्या कोई अंतर है प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा की पढ़ाई में

जी हां नीचे के चित्र में देखिए

रोटी और आलू पराठे का अंतर है

● मतलब साफ है कि आधार दोनो का गेंहू का आटा है लेकिन मुख्य परीक्षा ( पराठा) के लिए जरूरी तेल और आलू और मसाला आप को अलग से चाहिए होता है।

●ऐसे में ये आलू ,तेल और मसाला आप को खुद ही जुटाना होता है ।

● साथ ही सोशल मीडिया और अखबारों में खूब छपने वाले टॉपर अक्सर 8/10 कोचिंग वालो द्वारा खरीद कर प्रचारक बन जाते है इन टॉपर का इस्तेमाल नई मछलियों को फंसाने में किया जाता है

●इरा सिंघल और गौरव अग्रवाल इन दो के अलावा पिछले वर्षों के सारे टॉपर कोचिंग वालो के दुलारे थे क्योंकि इन दोनों ने कोचिंग वालों की हरकतों पर खुलकर बोल दिया था ।तो कोचिंग वालो ने इन्हें अपने निशाने पर भी ले लिया था।

खेल क्या है कोचिंग का

◆ लगभग 10 लाख लोग फॉर्म भरते है और 5–6 लाख लोग प्रारंभिक परीक्षा में बैठते भी है लेकिन 10–12 हजार ही मेंस लिखते है । ऐसे में ये कोचिंग वाले हमेशा ही इन 10 लाख वाली भीड़ को ही टारगेट पर रखते है और। बाकी का 9 लाख 90 हजार बच्चा हमेशा मूर्ख ही बनता है सच्चाई से पाला सिर्फ 10–12 हजार मेंस लिखने वाले लोगो को ही पड़ता है ।

● ऐसे में इस रोटी और आलू पराठे के अंतर को समझने के लिए आप को एक बार मेंस को लिखना होगा लेकिन अफसोस यह है कि 9 लाख 90 हजार लोग का कभी मेंस लिखने का अवसर नही पाते और कोचिंग वालो का भोजन बनते रहते है ।

एक मिथ और

● लोगो को लगता है कि यूपीएससी हर साल नए प्रश बनाता है जबकि प्रारंभिक परीक्षा हो या मुख्य परीक्षा पुराने प्रश्न 25 फीसदी तक रिपीट होते है लेकिन लोग इसपर भरोशा नही करते है क्योंकि कोचिंग के मॉडल प्रशनपत्र और टेस्ट सीरीज के अलावा वो कुछ देखते नही है ।

● एक बात समझिए कि प्रश्न बनाने वाले का रोज का काम है सवाल बनाना ऐसे में एक सरकारी कर्मचारी का प्रश्न बनाना शौख नही बल्कि ड्यूटी होती है ,और सरकारी कमर्चारी हमेशा पुराने ढर्रे को पकड़ कर चलता है ।

2019 का प्ररंभिक परीक्षा का पेपर

● लगभग सभी कोचिंग वाले 4 हजार प्रश्नों की टेस्ट सीरीज के बाद 35–40 सवाल आने के दावे कर रही है

● 20–25 सवाल तो अभी भी पुराने प्रशनपत्र से रंग रूप बदलकर रिपीट होते है साथ ही Elimination के तरीके को कैसे लगाना है यह कोचिंग वालो की टेस्ट सीरीज में होता ही नही वो बस कठिनाई पर ही जोर देते है यूपीएससी के पुराने प्रश्नों और कोचिंग टेस्ट सीरीज में देशी आम और माजा और फ्रूटी जितना फर्क होता है ।

नीचे इकोनॉमी के FDI और convertibility पर आए मेंस के पिछले सालों के सवाल देखिये बार बार यह टॉपिक मिलता जुलता सवाल बना कर पूछता है ।


Rahul “Nitin”Gupta (BE Civil Engineering ,PMP,MBA Project Management ) is Project Director of this organization he have 8 years of experience in construction industry .He is experts in Site execution, planning , billing department ,Technical advisor .

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