नादान सी कली
थी तो वोह एक नादान सी कली पता न मुझे था ,न उसे था बन जायेगे हम एकदूसरे के इतने कारीब थी, तो वोह सावली एकदम लेकिन बातों में अपने पलझने वाली थी मैं सीधा साधा लड़का था पता नहीं था मुझको उसके पलझाने वाले किस्से की पलझाया उसने मुझको जब गए साल भर बीत बुराई करती फिरती मुझसे वोह हर दम अपने माँ पापा की लेकिन समझ मुझे न आता था ,मैं बस इतना कह कर चुप हो जाता था चुप रह पगली मुझसे माँ पापा की न बात किया कर मैं तो तेरा एक दोस्त हु लेकिन माँ बाप से बढ़कर न है कोई दुनिया में, आज पता चला मुझे सात साल के बाद ,की उसकी नियत क्या थी मेरे बारे में आज पता चला हर वक़्त पुरुष ही गलत नहीं होते यह पालझाने वाली से सीखा मैंने थी तो वोह नादांन सी कली लेकिन इतनी तेज .....
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